सरकार चलाना आसान, पर देश व राज्य चलाना बड़ी चुनौती : नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के लिए सरकार चलाना कोई खास चुनौती नहीं है, बल्कि राज्य या देश चलाना मुश्किलों भरी चुनौती होती है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 25 Mar 2015 10:17 AM (IST) Updated:Wed, 25 Mar 2015 10:19 AM (IST)
सरकार चलाना आसान, पर देश व राज्य चलाना बड़ी चुनौती : नीतीश

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के लिए सरकार चलाना कोई खास चुनौती नहीं है, बल्कि राज्य या देश चलाना मुश्किलों भरी चुनौती होती है। मुख्यमंत्री मंगलवार को अपने विधायी जीवन के तीस वर्ष पूरे होने पर एशियन डेवलेपमेंट रिसर्च इंस्टीटयूट (आद्री) द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि देश या राज्य के विकास के लिए समाज में शांति-व्यवस्था बनाए रखना जरूरी होता है, लेकिन यह शांति केवल पुलिस के बल पर स्थापित नहीं हो सकती। इसके लिए जरूरी है सरकार खुद कानून के रास्ते पर चले और समाज में आपसी सौहार्द और शांति का वातावरण बना रहे। इस मौके पर 'आद्रीÓ के सचिव डॉ. शैबाल गुप्ता ने मुख्यमंत्री के तीस वर्षों के संसदीय जीवन यात्रा पर व्यापक प्रकाश डाला। मौके पर प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. अंजन मुखर्जी, जदयू के राज्यसभा सांसद व पूर्व नौकरशाह पवन वर्मा, पटना विवि के कुलपति डॉ. वाइसी सिम्हाद्री, प्रख्यात शल्य चिकित्सक डॉ. एए हई आदि मौजूद थे।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें तो पता नहीं चला कि उन्होंने संसदीय जीवन में अपना तीस साल पूरा कर लिया है। ये तीस साल काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। मुझमें नेतृत्व क्षमता को विकसित करने का श्रेय जननायक कर्पूरी ठाकुर को जाता है। उन्होंने मुझे विधायक के साथ-साथ लोकदल के समय संगठन का दायित्व भी सौंपा। युवा लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। पटना विवि के कुलपति द्वारा विवि का माहौल अक्सर गरम रहने की चर्चा किए जाने पर मुख्यमंत्री ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि अगर विवि का माहौल शांत और ठंडा है तो यह जीवित समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने अपने संसदीय जीवन की चर्चा करते हुए कहा कि मैंने 10वीं व 11वीं लोकसभा में संसदीय जीवन के अनुभव प्राप्त किए थे। यह वह समय था जब मैं लोकसभा की पूरी कार्यवाही में भाग लेता था और मुझे संसदीय कार्य की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों की चर्चा करते हुए कहा कि जब मैं काफी प्रयासों के बाद पहली बार हरनौत से विधायक चुना गया था तब मैं अपना पूरा ध्यान क्षेत्र पर केंद्रित रखता था। एक दिन में यूं ही खेतों से गुजर रहा था तब एक किसान ने मुझे सलाह दी थी कि मैं क्षेत्र की चिंता छोड़ दूं और अपना ध्यान राजनीति पर लगाऊं। इस मौके पर 'आद्रीÓ के सचिव डॉ. शैबाल गुप्ता ने कहा कि भारत के नवनिर्माण का श्रेय जिस प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जाता है, ठीक उसी तरह बिहार के पुनर्निर्माण का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। सांसद पवन वर्मा ने कहा कि दुनिया सफलता के पीछे संघर्ष और त्याग को नहीं देख पाती। नीतीश कुमार वैसे राजनेता हैं जिन्होंने राजनीति को अपनी सोंच से जोड़ा है। इसमें राजनीति के प्रति उनकी निष्ठा और आस्था भी जुड़ी है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंजन मुखर्जी कर रहे थे।

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