चिराग के विरोधियों को बेचैन करने वाली खबर, अभी राम विलास के दिल्ली वाले बंगले में रहेंगे PM मोदी के हनुमान
खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे चिराग पासवान की बीजेपी से तल्खी खोजने वालों के लिए यह बेचैन करने वाली खबर है। चिराग पासवान अभी अपने पिता राम विलास पासवान को आवंटित बंगले में ही रहेंगे। यह बंगला कैबिनेट मंत्री स्तर का है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Chirag Paswan News चिराग पासवान (Chirag Paswan) और भाजपा (BJP) के रिश्ते में तल्खी की खोज करने वालों को यह खबर बेचैन कर सकती है- दिल्ली में 12 जनपथ वाले राम विलास पासवान के नाम पर आवंटित बंगले में उनके बेटे चिराग पासवान अभी बने रहेंगे। फिलहाल, शहरी विकास मंत्रालय ने उन्हें अगले चार महीने तक इसमें रहने की इजाजत दी है। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट के बाद कयास लगाया जा रहा था कि चिराग इसे बंगले से बेदखल कर दिए जाएंगे, क्योंकि यह आवास केंद्र सरकार के मंत्रियों या समकक्ष पदधारकों के लिए आरक्षित है। इस समय चिराग सिर्फ सांसद हैं। सांसद के नाते उनके नाम से दूसरा आवास आवंटित है। दो टर्म के सांसद चिराग हमेशा अपने पिता के आवास में ही रहे हैं।
बंगले से रही राम विलास पासवान की पहचान
दिल्ली में 12 जनपथ का यह बंगला सोनिया गांधी के 10 जनपथ वाले आवास के ठीक बगल में है। राम विलास पासवान 1991 में इस बंगला में आए। चिराग की उम्र उस समय आठ साल से कम थी। उनकी परवरिश इसी आवास में हुई। बंगला की पहचान इस रूप में थी कि अगर कोई कह रहा है कि वह 12 जनपथ जा रहा है तो इसका मतलब यह निकलता था कि वह राम विलास पासवान से मिलने जा रहा है। यही वजह है कि चिराग किसी भी हालत में इस आवास से बेदखल नहीं होना चाहते हैं। उन्होंने अपने स्तर पर इसे बचाने की कोशिश भी की। चिराग को इससे भी राहत मिली कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने प्रस्ताव मिलने पर भी इस आवास में रहने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि इस बंगले से उनके पिता तुल्य अग्रज राम विलास पासवान की यादें जुड़ी हैं। उन्होंने इस आवास को राम विलास पासवान स्मृति भवन में बदलने की सलाह भी दे दी।
चिराग को मंत्री बनाए जाने की थी उम्मीद
चिराग पासवान मंत्री नहीं हैं। राम विलास पासवान का निधन (Ram Vials Paswan Death) पिछले साल पांच जुलाई को हुआ था। उन्हें गुजरे हुए 13 महीने हो गए। आम तौर पर सरकारी बंगले के आवंटी के निधन के अगले तीन महीने तक उनके स्वजनों को आवास में रहने दिया जाता है। चिराग के मामले में इसलिए नियम का पालन नहीं किया गया, क्योंकि उनके केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद थी। इस बीच एलजेपी में विभाजन हो गया। पांच सांसदों के गुट के नेता बने पशुपति कुमार पारस मंत्री बन गए। इसके बाद वैधानिक तौर पर चिराग को इस आवास में रहने का हक नहीं है।
संतुलन बनाने के लिए चिराग को तरजीह
चिराग के प्रति केंद्र सरकार की ताजा नरमी का राजनीतिक अर्थ निकाला जा रहा है। चिराग बिहार सरकार की तीखी आलोचना करते हैं। जबकि, केंद्र सरकार की तारीफ करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते हैं। इधर, बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) की हाल की गतिविधियां बीजेपी को असहज कर रही हैं। समझा जाता है कि राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए ही चिराग को तरजीह दी जा रही है।