जाति विहीन समाज से होगा विकसित बिहार का निर्माण : कुशवाहा

केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जाति विहीन समाज की स्थापना कर विकसित बिहार के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने सामाजिक तरक्की के लिए जातीय जहर को देश, प्रदेश और समाज से बाहर निकालने की अपील की। कुशवाहा पटना में जागरण फोरम में बोल रहे थे।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2015 02:36 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2015 07:46 PM (IST)
जाति विहीन समाज से होगा विकसित बिहार का निर्माण : कुशवाहा

पटना। केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जाति विहीन समाज की स्थापना कर विकसित बिहार के निर्माण का आह्वान किया है। उन्होंने सामाजिक तरक्की के लिए जातीय जहर को देश, प्रदेश और समाज से बाहर निकालने की अपील की है।

कुशवाहा गुरुवार को राजधानी में जागरण फोरम के कार्यक्रम 'लोकतंत्र सिर्फ राजनीति या जनभागीदारी' विषय पर आयोजित शिखर सम्मेलन में 'जाति बनाम विकास की राजनीति' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहार में जाति के आधार पर वोट की अपेक्षा तो की जाति है, लेकिन विकास की बात नहीं होती।

केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर उन पर जातीय आधारित राजनीति करने को लेकर हमला बोला। खुद के जदयू छोडऩे के बाद का एक वाकया बताते हुए कुशवाहा ने मुख्यमंत्री के गतिविधियों को गिनाते हुए जमकर निशाना साधा।

कहा कि आज हम सौभाग्यशाली हैं कि पहले जैसी जाति व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले जाति व्यवस्था का यह हाल था कि बगल में दलित परिवार को इस बात की मनाही थी कि वह कुंआ से सुबह पहली बाल्टी पानी नहीं निकालेगा।

अपने घर का वाकया सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मैंने घर में एक मुसलमान को नौकरी दे दी तो गांव वालों ने अघोषित रूप से बहिष्कार कर दिया। हमारे घर चाय पीने से किसी न किसी बहाने इनकार कर देते थे। हद तब हो गई जब हमारी बेटी एमबीए करके एक निजी कंपनी में नौकरी के लिए दिल्ली साक्षात्कार देने गई और वहां भी उससे जाति पूछ लिया गया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में जाति के नाम पर वोट तो चाहिए, लेकिन इसके आधार पर विकास की कोई बात नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जिनको जातीय राजनीति की वजह से सबसे अधिक नुकसान है, वे भी जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं। दुखद यह है कि वह विरोध करने के बजाए उसी व्यवस्था के पक्ष में बोलते हैं।

कुशवाहा ने कहा, 1947 से 1989 तक मंडल कमीशन के लिए इंतजार करना पड़ा, जबकि आजादी के साथ ही लागू कर दिया जाना चाहिए था। केंद्रीय मंत्री ने मंडल कमीशन के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी अनुशंसा तो शायद ही कभी लागू हो पाए। बीपी सिंह की सरकार ने भी इसका आंशिक भाग ही लागू किया, लेकिन हलचल मच गई।

कुशवाहा ने कहा कि पुराने दिनों की व्यवस्था को याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्होंने लोगों से मानसिक और जातिगत गुलामी से बाहर आने की अपील की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समाज तभी मजबूत होगा जब सभी को बराबर का अधिकार मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री ने महत्वपूर्ण विषय पर कार्यक्रम आयोजित करने और बुलाने के लिए जागरण परिवार को धन्यवाद दिया।

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