Chhath in Patna: नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ की शुरुआत, कल खरना करेंगे व्रती

राजधानी पटना में बुधवार को नहाय-खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिनों के इस पर्व को मनाने के लिए राजधानी पूरी तरह तैयार है। कल यानी गुरुवार को व्रती खरना करेंगे। गंगा घाटों पर भी नहाय-खाय मनाया गया।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 04:31 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 09:54 PM (IST)
Chhath in Patna: नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ की शुरुआत, कल खरना करेंगे व्रती
नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व शुरू। जागरण आर्काइव।

पटना, जेएनएन। राजधानी पटना में बुधवार को नहाय-खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिनों के इस पर्व को मनाने के लिए राजधानी पूरी तरह तैयार है। कल यानी गुरुवार को व्रती खरना करेंगे। गंगा घाटों पर भी नहाय-खाय मनाया गया। इनमें ज्यादातर व्रती जिले के आसपास के इलाकों के हैं। कुछ व्रती मन्नत पूरी होने पर भी गंगा घाटों के किनारे चार दिन का व्रत करते हैं।

रवियोग में किया जाता है नहाय-खाय

नहाय-खाय में कद्दू का बहुत महत्व होता है। यह पर्व रवियोग में मनाया जाता है। गंगा स्नान के बाद मिट्टी के चूल्हे पर स्वच्छता के साथ व्रती कद्दू की सब्जी, चने की दाल के साथ कद्दू, कद्दू का पकौड़ा, अरवा चावल आदि बनाते हैं। सूर्य की उपासना करने के बाद उसे पीतल की थाली में ग्रहण करते हैं। व्रतियों की थाली से उसी खाने को लोग प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं। घर की महिलाएं छठी मैया की गीत गाती हैं। इससे पूरा घर भक्तिमय हो जाता है। अगले दिन खरना के प्रसाद की तैयारी के लिए व्रती जुट जाते हैं।

खरना कर 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगे व्रती

आचार्य पीके युग की मानें तो गुरुवार की शाम सूर्योदय के बाद व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरना के प्रसाद में ईख का रस, गुड़, गाय के दूध, अरवा चावल से महाप्रसाद खीर बनाने के बाद भगवान भास्कर को अर्पित करेंगे। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगे। शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को शाम के वक्त पहला अघ्र्य देंगे और शनिवार को उदयीमान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ चार दिवसीय महापर्व का समापन होगा।

इस मुहूर्त में पूजा करना व अघ्र्य देना सर्वोत्तम

गुरुवार को खरना पूजा का मुहूर्त शाम 5:22 बजे से 7:26 बजे तक है। वहीं शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को शाम 5:21 बजे तक सवार्थ सिद्धि योग में अघ्र्य पड़ेगा। अगले दिन उदयीमान सूर्य को सुबह 6:39 बजे के बाद द्विपुष्कर योग में अघ्र्य दिया जाएगा।

इसलिए किया जाता है छठ व्रत

पंडित राकेश झा ने बताया कि लोक आस्था का महापर्व छठ का व्रत आरोग्य, सौभाग्य, संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। इसके अलावा महाभारत और रामायण काल में भी छठ व्रत करने की परंपरा रही है।

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