बिहार के कैंसर मरीजों के लिए काम की खबर, अब मुंबई में डायरेक्ट मिलेगी सहायता

अब बिहार के कैंसर मरीजों को इलाज के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से राशि के लिए दौड़ नहीं लगानी होगी। अब मरीजों को मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल से सीधे सहायता मिल जाएगी।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Thu, 11 Oct 2018 10:49 AM (IST) Updated:Thu, 11 Oct 2018 11:29 PM (IST)
बिहार के कैंसर मरीजों के लिए काम की खबर, अब मुंबई में डायरेक्ट मिलेगी सहायता
बिहार के कैंसर मरीजों के लिए काम की खबर, अब मुंबई में डायरेक्ट मिलेगी सहायता

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के कैंसर के मरीजों को मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में इलाज कराने में बड़ी राहत मिलेगी। इलाज के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से अनुदान प्राप्त करने के लिए पटना की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। मुंबई में ही आवेदन जमा करने से लेकर अनुदान करने की प्रक्रिया हो जाएगी।

राज्य सरकार ने कैंसर मरीजों की सुविधा के लिए मुंबई निवेश कार्यालय के लिए अवर सचिव का एक पद सृजित कर दिया है। जो, मरीजों को मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से अनुदान प्राप्त करने की प्रक्रिया का निपटारा करेंगे।    

हर साल बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज इलाज कराने के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में जाते हैं। इनमें गरीब मरीजों की तादाद भी अच्छी खासी होती है। कैंसर का इलाज बेहद महंगा होता है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीज पूरा इलाज नहीं करा पाते हैं। 

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से इलाज में आर्थिक मदद 

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को इलाज के लिए अनुदान दिया जाता है। इलाज कराने के लिए 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। सरकार प्रदेश में इलाज कराने पर अस्सी हजार एवं प्रदेश के बाहर इलाज कराने पर एक लाख रुपये देती है। 

अनुदान प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्तें 

राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से अनुदान प्राप्त करने के लिए आवश्यक मानक तय किए गए हैं। मरीजों को बिहार का नागरिक एवं उसकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम होनी चाहिए।    

आवश्यक कागजात का होना अनिवार्य 

मरीजों के पास सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत आवासीय और आय प्रमाणपत्र होना चाहिए। राज्य सरकार के अस्पताल अथवा सीजीएचएस से मान्यता प्र्राप्त अस्पताल का चिकित्सा पर्चा एवं इलाज के खर्च का मूल प्राक्कलन होना भी आवश्यक है। मरीजों को तमाम आवश्यक कागजात के साथ निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं के पास आवेदन करना होता है।  

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