पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार में उपभोक्ताओं को मिल रही सस्ती बिजली : बिजेंद्र यादव

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि गत वर्ष कोयले की कमी से पूरे देश में अप्रैल से सितंबर तक बिजली की कमी हो गई थी। इस वजह से केंद्र ने दस प्रतिशत आयातित कोयले के इस्तेमाल को बाध्यकारी बनाया है। इस कारण ईंधन लागत में बढ़ोतरी हुई है।

By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Publish:Mon, 30 Jan 2023 01:33 AM (IST) Updated:Mon, 30 Jan 2023 01:33 AM (IST)
पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार में उपभोक्ताओं को मिल रही सस्ती बिजली : बिजेंद्र यादव
पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार में उपभोक्ताओं को मिल रही सस्ती बिजली : बिजेंद्र यादव

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने रविवार को कहा कि बिहार में उपभोक्ताओं को पड़ोसी राज्यों की तुलना में सस्ती बिजली मिल रही है। उपभोक्ताओं काे सस्ती बिजली उपलब्ध कराए जाने को लेेकर प्रदेश की सरकार प्रतिबद्ध है।

ऊर्जा मंत्री यादव ने कहा कि बिहार में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की अधिकतम दर 6.22 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं, पश्चिम बंगाल में यह 9.22 रुपए प्रति यूनिट, उत्तर प्रदेश में 6.50 रुपए प्रति यूनिट तथा झारखंड में 6.25 रुपए प्रति यूनिट है।

बिहार को सस्ती बिजली मिले, इस बात को ध्यान में रखकर बिहार ने केंद्र सरकार से पूरे देश में वन नेशन वन टैरिफ लागू किए जाने की मांग भी की है। इसके लागू हो जाने से न केवल बिहार बल्कि अन्य पिछड़े राज्यों को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण बिजली निर्बाध मिल सकेगी।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिहार के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण निर्बाध बिजली उपलब्ध कराए जाने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। परंतु कुछ लोगों द्वारा इस बारे में भ्रामक वक्तव्य दिया जा रहा है। विद्युत उत्पादन इकाईयों से बिजली क्रय की दर केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग द्वारा तय की जाती है।

इस पर क्रेता राज्यों या फिर विक्रेता उत्पादन इकाईयों का कोई नियंत्रण नहीं रहता। इसलिए इस बारे में वक्तव्य देना पूर्णत: निराधार है। उन्होंने कहा कि जिस दर पर दूसरे राज्य बिजली खरीदना बंद करते हैं, हमलोग वहां से खरीदना आरंभ करते हैं। नई उत्पादन इकाईयों का अपेक्षाकृत विद्युत उत्पादन लागत खर्च अधिक होता है।

यादव ने कहा कि उनका प्रति यूनिट फिक्सड चार्ज पुरानी इकाईयों की तुलना में 40-50 प्रतिशत अधिक रहता है। विगत वर्ष कोयले की कमी की वजह से पूरे देश में अप्रैल से सितंबर माह तक बिजली की काफी कमी हो गई थी। इस वजह से केंद्र सरकार द्वारा दस प्रतिशत आयातित कोयले के इस्तेमाल को बाध्यकारी बनाया गया है। इस कारण भी ईंधन लागत में बढ़ोतरी हुई है।

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