Patna Lockdown छत पर सेडो नोकिंग, गेंदबाजी, कैचिंग कर अगले सत्र की तैयारी में जुटीं महिला क्रिकेटर

लॉकडाउन में भी बिहार की उदीयमान महिला क्रिकेटरों का ध्यान फिटनेस पर है। वे छत पर सीमित जगह में अभ्यास करने में जुटी हैं। जानें कैसे हो रही प्रैक्टिस।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 03 Apr 2020 08:53 AM (IST) Updated:Fri, 03 Apr 2020 08:53 AM (IST)
Patna Lockdown छत पर सेडो नोकिंग, गेंदबाजी, कैचिंग कर अगले सत्र की तैयारी में जुटीं महिला क्रिकेटर
Patna Lockdown छत पर सेडो नोकिंग, गेंदबाजी, कैचिंग कर अगले सत्र की तैयारी में जुटीं महिला क्रिकेटर

पटना, जेएनएन। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में भी बिहार की उदीयमान महिला क्रिकेटरों का ध्यान फिटनेस पर है। वे छत पर सीमित जगह में सेडो नोकिंग, गेंदबाजी, कैचिंग के साथ व्यायाम कर खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने और कोरोना से जंग जीतने में जुटी हैं। इस काम में उन्हें पिता, भाई और अन्य संबंधियों का बखूबी साथ मिल रहा है, जिनके सहारे वे बीसीसीआइ के अगले सत्र की तैयारी भी कर रही हैं।

घर में बैठ जाने से काम नहीं चलेगा

पिछले सत्र में बिहार अंडर-19 टीम में सुरक्षित खिलाड़ी रहीं और सुमित्रा दयाल महिला क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण के दम पर टीम को फाइनल तक पहुंचाने वाली 13 साल की स्वर्णिमा चक्रवर्ती बताती हैं कि मैं मोइनुल हक स्टेडियम स्थित एमपी वर्मा स्टेट कोचिंग सेंटर में नियमित जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी एकेडमियां बद हैं। ऐसे में कंकड़बाग स्थित अपने घर की छत पर ड्यूज बॉल से सेडो नोकिंग करतीं हूं। सुबह में व्यायाम के बाद बल्लेबाजी और शाम को क्षेत्ररक्षण, कैचिंग करना मेरे नियमित दिनचर्या में शामिल है। स्वर्णिमा के पिता वरीय क्रिकेटर सौरव चक्रवर्ती  मानते हैं कि अगले सत्र की तैयारी के लिए यह बेहद जरूरी है और साथ ही मैं स्वयं को फिट रख रहा हूं।

शारीरिक और मानसिक मजबूती जरूरी

पिछले सत्र में बीसीसीआइ के अंडर-19 प्लेट ग्रुप टूर्नामेंट में 22 विकेट लेकर दूसरे स्थान पर रहीं ऑफ स्पिनर तेजस्वी राजेंद्रनगर स्थित शाखा मैदान पर कोच संतोष कुमार की देखरेख में अभ्यास करती थीं, लेकिन लॉकडाउन में भूतनाथ रोड स्थित घर पर उनका साथी छोटा भाई है, जिसके साथ वह बल्लेबाजी, गेंदबाजी के साथ योग भी करती है।

एक मात्र सहारा बना घर

इसी तरह पिछले सत्र में 254 रन बनाकर ओवरऑल आठवें स्थान पर रहीं याशिता सिंह पठांस क्रिकेट एकेडमी और मोइनुल हक स्टेडियम स्थित राजीव गांधी क्रिकेट एकेडमी बंद होने से 12 साल की साइना का एकमात्र सहारा घर बना हुआ है। रामनगरी, आशियाना स्थित अपने घर पर पिता शैलेंद्र सिंह की मदद से टेनिस गेंद से अभ्यास करने वाली याशिता ने बताया कि इस तरह से मैं खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रख रही हूं। हमलोगों को पूरी उम्मीद है कि कोरोना से जंग में जीत हमारी होगी और अगले सत्र में बुलंद हौसले के साथ अपने राज्य का गौरव बढ़ाएंगे। 

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