बिहारः जातीय जनगणना के साये में नीतीश नेतृत्व की स्वीकार्यता नए फलक पर, एक स्टैंड को देशव्यापी समर्थन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की स्वीकार्यता नए फलक पर नजर आ रही है। इस मुद्दे पर वह तर्कों के साथ मुखर हो चुके हैं। जाति आधारित जनगणना को लेकर उनके स्टैंड को देशव्यापी समर्थन मिल रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 08:56 PM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 08:56 PM (IST)
बिहारः जातीय जनगणना के साये में नीतीश नेतृत्व की स्वीकार्यता नए फलक पर, एक स्टैंड को देशव्यापी समर्थन
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव।

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। जाति आधारित जनगणना के साये में नीतीश नेतृत्व की स्वीकार्यता नए फलक पर नजर आ रही है। इस मुद्दे पर वह तर्कों के साथ मुखर हो चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से जिस दिन गुरुग्राम में उनकी मुलाकात हुई थी उसी दिन यह चर्चा बढ़ी थी कि नीतीश कुमार नेतृत्व करें। दिल्ली में उनके नेतृत्व में बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जब जाति आधारित जनगणना कराए जाने के सवाल पर प्रधानमंत्री से मिलकर लौटा तो उसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जाति आधारित जनगणना के सवाल पर अपनी सहमति व्यक्त की। कांग्रेस भी नीतीश कुमार के इस स्टैंड पर उनके साथ है।

यह माना जा रहा कि नीतीश कुमार ने इसे देशव्यापी विमर्श का विषय बना दिया है। आने वाले समय में यह कई तरह के राजनीतिक समीकरणों को बुनेगा। बिहार में नीतीश कुमार के विरोधी भी इस मुद्दे के बहाने उनके साथ आ गए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने खुद यह प्रस्ताव रखा था कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से एक प्रतिनिधिमंडल बिहार जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बारे में विपक्ष के नेताओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिख समय मांगा था। प्रतिनिधिमंडल जब प्रधानमंत्री से मिलकर लौटा तो सामने एक नई केमिस्ट्री दिख रही थी। राजनीति के विशेषज्ञों ने दिग्गजों के बाडी लैंग्वेज को भी पढ़ा।

सपा और समाजवादी भी आई साथ

नीतीश कुमार ने जिस अंदाज में जाति आधारित जनगणना के मामले को आगे किया उसे एनडीए के भीतर से भी समर्थन हासिल हुआ। यूपी के अपना दल ने संसद में इसके समर्थन में अपनी बात कही। दिलचस्प यह रहा कि नीतीश कुमार के इस स्टैैंड का समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी समर्थन किया। महाराष्ट्र से भी जाति आधारित जनगणना की आवाज आने लगी है। दक्षिण में तेलुगु देशम ने भी जातीय जनगणना का समर्थन किया है। यह भी साफ है कि कांग्रेस व वामदलों ने भी नीतीश कुमार का इस मसले पर समर्थन किया है। इसका संदर्भ यह है कि बगैर आलाकमान की सहमति के प्रधानमंत्री से नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नहीं होता। 

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