अपनों के पास पहुंचकर फिर से खिलखिलाएंगे बिछड़े हुए जिगर के टुकड़े

दूसरे राज्यों से भटक कर बिहार आए तकरीबन सवा सौ बेसहारा बच्चों को अपनों के पास भेजने की तैयारी हो चुकी है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 02:23 PM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 02:23 PM (IST)
अपनों के पास पहुंचकर फिर से खिलखिलाएंगे बिछड़े हुए जिगर के टुकड़े
अपनों के पास पहुंचकर फिर से खिलखिलाएंगे बिछड़े हुए जिगर के टुकड़े

श्रवण कुमार, पटना। बिछड़े हुए लाल को फिर से अपनों का साथ मिलेगा। माता-पिता से मिलवाने के लिए बिहार सरकार मासूमों के लिए अभिभावक का रोल अदा करेगी। दूसरे राज्यों से भटक कर बिहार आए तकरीबन सवा सौ बेसहारा बच्चों को अपनों के पास भेजने की तैयारी हो चुकी है। महीनों की ट्रैकिंग और बच्चों के गृह राज्य व जिलों के अधिकारियों से संपर्क के बाद इनकी पहचान हुई है। अब इन्हें इनके घर उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल भेजने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

लखनऊ रवाना होगी पहली बस

23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के 45 बच्चों के साथ पहली बस लखनऊ के लिए रवाना होगी। उसके बाद झारखंड के 35 और पश्चिम बंगाल के 25 बच्चे भी गृह राज्य भेजे जाएंगे। इन बच्चों के गृह राज्य से बिहार का समाज कल्याण निदेशालय लगातार संपर्क में है। राज्य मुख्यालय से इन बच्चों को जिला मुख्यालय भेजकर उनके अपनों को सौंपा जाएगा। बच्चों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में भेजा जाएगा।

कई बार की गई बच्चों की काउंसलिंग

बेसहारा बच्चों की ट्रैकिंग आसान नहीं थी। जो बच्चे दूसरे राज्यों से भटकते हुए बिहार के किसी शहर में पहुंच गए, उन्हें स्थानीय थानों, स्वयं सेवी संस्थानों या अन्य स्रोतों से बाल या बालिका गृहों में पहुंचाया गया। बाल गृहों ने बच्चों से यथासंभव जानकारी जुटाई। जिन बच्चों ने जानकारी दी उसका रिकॉर्ड तैयार किया गया। जो बच्चे कुछ भी बताने में असमर्थ थे, उनसे मनोवैज्ञानिक तरीके से आस-पास के मेले, स्थलों के बारे में पूछा गया। इसके लिए कई बार बच्चों की काउंसलिंग की गई। इसके बाद गूगल का सहारा लिया गया। समाज कल्याण निदेशालय ने गूगल से जानकारियों के आधार पर संबंधित जिलों और राज्यों के अधिकारियों से बात कर ट्रैकिंग कराई।

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