तेजस्वी ने कहा-विरोधियों के ख्वाब नहीं होंगे पूरे, महागठबंधन है अटूट

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि गठबंधन से सम्बद्ध मामला तीनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों का मसला है इसलिए उस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना शोभनीय नहीं है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Tue, 27 Jun 2017 08:51 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jun 2017 11:03 PM (IST)
तेजस्वी ने कहा-विरोधियों के ख्वाब नहीं होंगे पूरे, महागठबंधन है अटूट
तेजस्वी ने कहा-विरोधियों के ख्वाब नहीं होंगे पूरे, महागठबंधन है अटूट

 पटना [जेएनएन]। राजद और जदयू की ओर से बयानबाजी के बाद तल्खी को कम करने की कवायद शुरू हो गई है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि गठबंधन पर बयान देने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष का है न कि किसी विधायक का या और किसी अन्य नेता का।

किसी भी सूरत में गठबंधन से सम्बद्ध मामला तीनों पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों का मसला है इसलिए उस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना शोभनीय नहीं है। महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच कोई मतभेद नहीं है।उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि महागठबंधन के शीर्ष नेताओं में बेहतर समन्वय है।

तेजस्वी ने कहा कि  अगर किसी को किसी प्रकार की परेशानी है तो सम्बंधित प्लेटफॉर्म पर ही उसकी बात की जानी चाहिए न की मीडिया के द्वारा। हम इसे लेकर अत्यंत गंभीर है।   

उन्होंने कहा कि बिहार की न्यायप्रिय जनता ने महागठबंधन की नीतियों और कार्यक्रमों को अपार समर्थन एवं अनंत सम्मान देकर ऐतिहासिक बहुमत दिया है। हमारा इस बहुमत के पीछे जनता के सरोकारों के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता है। बीजेपी और उनके समर्थक संस्थानों को हमारी एकता हजम नहीं हो रही है। गठबंधन के भी कुछ नेता व्यक्तिगत हितों को लेकर अनावश्यक बयानबाजी करते रहते हैं ताकि खबरों में बने रहे।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा समर्थित मीडिया का भी एक वर्ग जिस दिन से महागठबंधन बना है, उसी दिन से महागठबंधन के खिलाफ दुष्प्रचार में लगा हुआ है। शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब उन्होंने यह रिपोर्ट किया हो कि महागठबंधन मजबूत है, एकजुट है और बिहार के लिए समर्पित है।  शायद वो इसलिए नहीं करते क्योंकि महागठबंधन का विचार उनके सरोकारों को पूर्ण नहीं करता।

महागठबंधन के बने रहने की इसी बैचनी और टूटने के ख्याली पुलाव खाने की बेकरारी में वो अपनी उर्जा का निवेश करते रहते हैं। खैर सबकी पेशागत मजबूरियां या वैचारिक मान्यताएं होती हैं और लोकतंत्र में इसका भी सम्मान होना चाहिए।

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तेजस्वी ने कहा है कि हर दल में कुछ ऐसे व्यक्ति होते है जो मैंडेट या जनभावना का समर्थन ना करके अपने निजी हितों को सर्वोपरि रखते हैं। ऐसे लोगों की अपनी व्यक्तिगत धारणाएं होती हैं जिन्हें वे मीडिया के मार्फत दल और गठबंधन से जोड़ देते हैं। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है।

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