बोर्ड की परीक्षा में ‘कृपा’ से पास हो रहे ‘पप्पू’

बिहार बोर्ड की परीक्षा में ‘कृपा’ से ‘पप्पू’ (पढ़ाई में कमजोर छात्र) पास हो रहे हैं। इस सच्चाई को खुद बोर्ड प्रशासन ने कबूल किया है। इसकी कुछ बानगी देखें-वर्ष 2013 की इंटर परीक्षा में छात्र रंजीत ऋषि (नवादा) ने प्रथम श्रेणी से पास किया, मगर उसके रिजल्ट को दूसरे

By Mrityunjay Kumar Edited By: Publish:Sun, 07 Dec 2014 09:40 PM (IST) Updated:Mon, 08 Dec 2014 09:28 AM (IST)
बोर्ड की परीक्षा में ‘कृपा’ से पास हो रहे ‘पप्पू’

पटना। बिहार बोर्ड की परीक्षा में ‘कृपा’ से ‘पप्पू’ (पढ़ाई में कमजोर छात्र) पास हो रहे हैं। इस सच्चाई को खुद बोर्ड प्रशासन ने कबूल किया है। इसकी कुछ बानगी देखें-वर्ष 2013 की इंटर परीक्षा में छात्र रंजीत ऋषि (नवादा) ने प्रथम श्रेणी से पास किया, मगर उसके रिजल्ट को दूसरे छात्र ने चैलेंज किया। उसके आधार पर बिहार बोर्ड ने रंजीत के रिजल्ट की स्क्रूटनी कराई तब उसका रिजल्ट द्वितीय श्रेणी में हो गया।

जांच में परीक्षकों द्वारा कॉपियों के मूल्यांकन में बरती गई लापरवाही सामने आई। इसका खुलासा लोक सूचना का अधिकार के आवेदन से प्राप्त जानकारी से हुआ है।इससे भी हैरतगेंज यह कि वर्ष 2014 की इंटर परीक्षा के छात्र अभिनव सुमन की कॉपियों की दोबारा जांच कराई गई तो वह विज्ञान संकाय का टॉपर हो गया, जबकि इससे पहले उसे टॉप-10 की मेधा सूची में भी स्थान नहीं मिला था। स्क्रूटनी में उसे कुल 432 अंक हासिल हुए, जबकि उससे पहले बिहार बोर्ड ने मार्च में घोषित रिजल्ट में रवीश कुमार को टॉपर (विज्ञान संकाय, प्राप्तांक-425) घोषित किया था। इसी तरह कला संकाय में हुमा खातुन को टॉपर घोषित किया गया था, मगर छात्र शालिनी ने अपनी कॉपियों की स्क्रूटनी कराने का चैलेंज किया तो वह स्क्रूटनी के बाद टॉपर हो गई।

इतना ही नहीं, इस वर्ष बिहार बोर्ड में स्क्रूटनी से करीब 50 हजार परीक्षार्थियोंके रिजल्ट में सुधार किया गया है। ये वे परीक्षार्थी हैं, जो परीक्षकों की ‘कृपा’ की वजह से प्रभावित हुए थे। इनमें से 10 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी तो कम अंक मिलने से प्रभावित हुए थे। करीब पांच सौ से ज्यादा ऐसे छात्र पाए गए, जो परीक्षकों की कृपा से फेल होने के बदले द्वितीय व तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए।

chat bot
आपका साथी