Bihar Assembly Election 2020: उम्मीद दिखी तो कांग्रेस के पुराने योद्धा चमकाने लगे तलवार

कांग्रेस के अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चा होते ही पुराने नेता सक्रिय हो गए हैं। टिकट के ऐसे-ऐसे दावेदार खड़े होने लगे हैं जो पिछले डेढ़-दो दशक से एक्टिव नहीं थे।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 04:36 PM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 11:35 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: उम्मीद दिखी तो कांग्रेस के पुराने योद्धा चमकाने लगे तलवार
Bihar Assembly Election 2020: उम्मीद दिखी तो कांग्रेस के पुराने योद्धा चमकाने लगे तलवार

सुनील राज, पटना।  बिहार में कांग्रेस के अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चा क्या शुरू हुई, वर्षों पहले संदूक में अपनी तलवार जमा बंद करा चुके योद्धा भी कमर कसने लगे हैं। टिकट के ऐसे-ऐसे दावेदार खड़े होने लगे हैं, जो पिछले डेढ़-दो दशक से सक्रिय राजनीति में ही नहीं हैं। नेतृत्व भी इससे परेशान है, लेकिन अभी किसी को नाराज करने जैसी स्थिति नहीं है। सबसे ज्यादा परेशान वह युवा नेता हैं, जो इस बार सिंबल पाने की कोशिश में पटना-दिल्ली फर्राटा भर रहे हैं। 

कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं!

कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। इस बात की भनक चर्चाओं के माध्यम से बुजुर्ग नेताओं तक जा पहुंची है। इस चर्चा ने पुराने नेताओं की राजनीतिक इच्छा को नए ढंग से उभार दिया है। पार्टी मुख्यालय में भी ऐसे नेताओं की आवाजाही बढ़ गई है। इनमें तो कई तो ऐसे भी हैं जो दो दशक पूर्व बिहार में लालू-राबड़ी की सरकार में मंत्री थे। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने 30 साल पहले चुनाव लड़ा और बमुश्किल जीत पाए। कई ऐसे नेता भी सक्रिय हुए हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित तो किया, लेकिन कभी उन्हें मैदान में किस्मत आजमाने का मौका नहीं मिला। 

बुजुर्ग नेताओं की उम्मीदों ने युवा उम्मीदवारों को परेशानी में डाला

बताया जाता है कि ऐसे बुजुर्ग नेताओं में से कुछ ने तो प्रदेश नेतृत्व को बकायदा अपनी दावेदारी की जानकारी और साथ में विकल्प भी दे दिए हैं। विकल्प एक दम साफ-साफ कि यदि उन्हें टिकट नहीं दिया जा सकता तो उनके रिश्तेदार जैसे भाई-बेटे, भतीजे, भांजे या पत्नी के भाई को सिंबल मिले। बुजुर्ग नेताओं की बढ़ती उम्मीदों ने युवा उम्मीदवारों को परेशानी में डाल दिया है। ऐसे युवा नेताओं को लग रहा है कि कहीं बुजुर्गों के चक्कर में उनकी नाव ना डूब जाए। 

नेतृत्व नहीं है अनजान 

इस बात से नेतृत्व भी अनजान नहीं है, लेकिन चुप्पी साध रखा है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह तो मुद्दे पर कुछ भी कहने से साफ इंकार करते हैं। उनका कहना है कि पहले सीटों का बंटवारा हो जाए, इसके बाद ही वे कुछ कहेंगे। वे कहते हैं कि पार्टी की स्पष्ट रणनीति है कि चुनाव में जीत दिला सकते हैं, वैसे लोगों को ही सिंबल दिया जाएगा।

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