नाटक 'बिदेसिया' से कलाकारों ने दिखाया पलायन का दर्द औऱ उससे उपजी विभीषिका Patna News
भिखारी ठाकुर के नाटक बिदेसिया का प्रेमचंद रंगशाला में मंगलवार को मंचन किया गया। प्रस्तुति के द्वारा पलायन का दर्द दिखाया।
पटना, जेएनएन। ये लीजिए जनाब, दोस्त ने थोड़ी तारीफ क्या कर दी कोलकाता की तो साहब का मन वहां जाने का मचल उठा। कोलकाता देखने की इतनी बेचैनी। नायिका के पैर का महावर भी ठीक से सूखा नहीं कि जुदाई की बात सामने आ गई। पूरब देस में टोना बेसी बा, पानी भी बहुत कमजोर।
ऐसे में कैसे नायक रह पाएगा। पर सैंया की जिद की आगे नायिका की एक न चली और वह नई नवेली दुल्हन को छोड़ परदेस भाग गया। पलायन का दर्द और उससे उपजी विभीषिका भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर के नाटक 'बिदेसिया' में मंगलवार को प्रेमचंद रंगशाला में देखने को मिली।
निर्माण कला मंच पटना के 31वें स्थापना दिवस के मौके पर वरिष्ठ रंगकर्मी संजय उपाध्याय के निर्देशन में कलाकारों ने पलायन के दर्द को बखूबी दिखाकर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन कला संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, अपर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने किया।
ये थी कहानी
नाटक का नायक बिदेसी रोजी रोजगार के लिए अपनी नवविवाहिता प्यारी सुंदरी को गाव में ही छोड़कर कलकत्ता चला जाता है। पत्नी के लाख मना करने के बावजूद घर की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए परदेस जाने का निर्णय लेता है, ताकि घर की गरीबी को दूर किया जा सके। कलकत्ता जाने के बाद बिदेसी एक दूसरी औरत से दिल बैठा लेता है और उसी के साथ रहते हुए अपनी जिंदगी गुजर-बसर करने में लगा रहता है। कुछ समय बाद दूसरी औरत से दो बच्चों का जन्म होता है। गांव से आना वाला बिदेसी अपनी नई-नवेली दुल्हन प्यारी सुंदरी को भूल जाता है।
उधर प्यारी सुंदरी अपने पति की घर वापसी की बाट जोहती दिन काट रही होती है। काफी समय कोई सूचना नहीं मिलने के बाद प्यारी सुंदरी बटोही को अपने दर्द को सुनाती है। बटोही बिदेसी को ढूंढने कलकत्ता जाता है और उसे वापस लेकर गांव आता है। काफी वर्षो से पति का वियोग सहने वाली प्यारी सुंदरी को ऐसा लगता है मानो उसे नया जीवन मिला हो।
कुछ समय बाद कलकत्ता में रहने वाली दूसरी पत्नी अपने पति बिदेसी को खोजते अपने बच्चों के साथ उसके गांव आ जाती है। इसके बाद बिदेसी की सारी पोल खुल जाती है। दोनों औरतों में खूब लड़ाई-झगड़ा होता है, लेकिन सारी कहानी जानने के बाद प्यारी सुंदरी बड़प्पन दिखाते हुए दूसरी औरत को भी अपने परिवार का सदस्य मान साथ रखने को तैयार हो जाती है।
ऐसे में कैसे नायक रह पाएगा। पर सैंया की जिद की आगे नायिका की एक न चली और वह नई नवेली दुल्हन को छोड़ परदेस भाग गया। पलायन का दर्द और उससे उपजी विभीषिका भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर के नाटक 'बिदेसिया' में मंगलवार को प्रेमचंद रंगशाला में देखने को मिली।
निर्माण कला मंच पटना के 31वें स्थापना दिवस के मौके पर वरिष्ठ रंगकर्मी संजय उपाध्याय के निर्देशन में कलाकारों ने पलायन के दर्द को बखूबी दिखाकर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन कला संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, अपर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने किया।
ये थी कहानी
नाटक का नायक बिदेसी रोजी रोजगार के लिए अपनी नवविवाहिता प्यारी सुंदरी को गाव में ही छोड़कर कलकत्ता चला जाता है। पत्नी के लाख मना करने के बावजूद घर की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए परदेस जाने का निर्णय लेता है, ताकि घर की गरीबी को दूर किया जा सके। कलकत्ता जाने के बाद बिदेसी एक दूसरी औरत से दिल बैठा लेता है और उसी के साथ रहते हुए अपनी जिंदगी गुजर-बसर करने में लगा रहता है। कुछ समय बाद दूसरी औरत से दो बच्चों का जन्म होता है। गांव से आना वाला बिदेसी अपनी नई-नवेली दुल्हन प्यारी सुंदरी को भूल जाता है।
उधर प्यारी सुंदरी अपने पति की घर वापसी की बाट जोहती दिन काट रही होती है। काफी समय कोई सूचना नहीं मिलने के बाद प्यारी सुंदरी बटोही को अपने दर्द को सुनाती है। बटोही बिदेसी को ढूंढने कलकत्ता जाता है और उसे वापस लेकर गांव आता है। काफी वर्षो से पति का वियोग सहने वाली प्यारी सुंदरी को ऐसा लगता है मानो उसे नया जीवन मिला हो।
कुछ समय बाद कलकत्ता में रहने वाली दूसरी पत्नी अपने पति बिदेसी को खोजते अपने बच्चों के साथ उसके गांव आ जाती है। इसके बाद बिदेसी की सारी पोल खुल जाती है। दोनों औरतों में खूब लड़ाई-झगड़ा होता है, लेकिन सारी कहानी जानने के बाद प्यारी सुंदरी बड़प्पन दिखाते हुए दूसरी औरत को भी अपने परिवार का सदस्य मान साथ रखने को तैयार हो जाती है।