Bharat Bandh in Bihar: भारत बंद में तेजस्वी यादव को ढ़ूंढ़ते रह गए लोग
भारत बंद के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित राजद का कोई बड़ा नेता सड़कों पर नहीं दिखा। हर कोई तेजस्वी का इंतजार करता रह गया। पता चला बंद में सक्रिय भागीदारी का निर्देश देकर वो दिल्ली चले गए हैं। इस पर एनडीए नेताओं ने खूब चुटकी ली ।
पटना, राज्य ब्यूरो। पूर्व डिप्टी सीएम और राज्य सभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने भाजपा कार्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक दिन पहले ही भारत बंद में सक्रिय भागीदारी का निर्देश दिया था। किसानों के लिए कुछ भी कर गुजरने की बात कही थी। जब बंद के दौरान वे सड़को पर दिखे नहीं तो मैंने पूछा - भाई ये नेता प्रतिपक्ष दिखाई क्यों नहीे दे रहे? जवाब मिला - वो दिल्ली चले गए हैं। इसपर कार्यक्रम में मौजूद लोग ठठाकर हंस पड़े।
जनता का दुख बांटने की बजाय घूमने निकल जाते हैं
सुशील मोदी ने आगे कहा कि मुझे लगा वे दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन में भाग लेंगे। मगर वहां भी नजर नहीं आएं। दरअसल वे भी राहुल गांधी की तरह हैं। जब मन करता है छुट्टियां मनाने विदेश चले जाते हैं, वैसे ही तेजस्वी थक जाते हैं तो घूमने निकल जाते हैं। बिहार में चमकी बुखार, पटना में जलजमाव जैसी विपदा आती हैं तो तेजस्वी जनता का दुख बांटने की बजाय खुद घूमपने निकल जाते हैं। विधान मंडल के महत्वपूर्ण सत्र से भी गायब रहे। ऐसा ही हाल रहा तो भाजपा को लंबे समय तक जनता की सेवा का मौका मिलेगा ।
बंद का आह्वान कर गायब हो गए
प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने मंगलवार, आठ दिसंबर को कहा कि भारत बंद में बंद समर्थकों की गुंडागर्दी साफ-साफ दिखी। जिसके लिए बंद का आह्वान था उनकी बंद में कोई सहभागिता नहीं दिखी। खुद तेजस्वी यादव बंद में नहीं शामिल हुए। उनके समर्थक उन्हें ढूंढ़ते रह गए। असल में तेजस्वी यादव चुनाव की थकान मिटाने गायब हो गए हैं।
संजय ने कहा कि तेजस्वी ने तो पहले बंद में राजद की सक्रिय भागीदारी का एलान किया था। बंद में लोग तेजस्वी के दर्शन को तरस गए, पता चला वो दिल्ली चले गए हैा। यादव यह जान लें कि आजीवन उन्हें विपक्ष में ही रहना होगा। विपक्ष में रहकर जो इस तरह की गुंडागर्दी करे जनता उसे सत्ता क्यों देगी? जंगलराज वालों का चरित्र आज भी नहीं बदला है। बंद समर्थकों द्वारा राहगीरों को पीटा जा रहा था। बिहार के किसान अपने खेत में काम कर रहे थे और बंद समर्थन सड़क पर गुंडागर्दी में व्यस्त थे। तेजस्वी यादव के दल वालों ने यह सिद्ध कर दिया कि उनके बीच से जंगल राज वाली संस्कृति आज भी खत्म नहीं हुई है।
भारत बंद से किसानों ने दूरी बनाए रखी : बशिष्ठ
जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने भारत बंद पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि किसान कहीं नजर नहीं आए इस बंद में। भारत बंद से किसानों ने अपनी दूरी बनाए रखी। केवल प्रचार के लिए भारत बंद का आह्वïान किया था। जनजीवन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने तो अपना निश्चय का एक महत्वपूर्ण किसानों के लिए किया हुआ है। हर खेत को सिंचाई के लिए पानी के केंद्र में किसान ही हैैं। इसके अतिरिक्त किसानों के हित के लिए कई योजनाएं भी चल रही हैैं।
भारत बंद पूरी तरह से विफल
प्रदेश जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि भारत बंद पूरी तरह से विफल रहा। भारत बंद का कोई औचित्य नहीं है। केंद्र सरकार ने जब यह कहा कि वह खुलकर कृषि कानून पर बातचीत के लिए तैयार है तो किसान संगठनों को इस बंद को टालना चाहिए था।
राजीव रंजन ने कहा कि शरद पवार, अरविंद केजरीवाल व राहुल गांधी को एपीएमसी एक्ट पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहिए। शरद पवार ने 11 अगस्त 2010 को बतौर कृषि मंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस बारे में संवाद किया था। आज उन्हीं प्रावधानों का वे विरोध कर रहे हैैं। बिहार ने तो 2006 में ही एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर दिया था। उसके बाद कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
यह भी देखें: किसान-सरकार की छठे दौर की बैठक रद्द, लिखित प्रस्ताव पर किसान करेंगे चर्चा