Bihar News: ट्रैफिक नियमों को ताक पर रख कर चालक दौड़ा रहे ऑटो, परिवहन विभाग और पुलिस-प्रशासन आदेशों का पालन कराने में फेल

परिवहन विभाग की फाइलों में ऑटो-बस के परिचालन को लेकर तमाम नियम-कानून हैं और जुर्माने का भी प्रविधान है लेकिन अफसोस यह आदेश बस फाइलों में ही दफन हैं। परिवहन विभाग और पुलिस-प्रशासन इन आदेशों का अनुपालन कराने में पूरी तरह से फेल है। इसका नतीजा यह है कि पटना की सड़कों पर ऑटो चालक नियम-कानून को ताक पर रखकर बेखौफ दौड़ाते हैं।

By Rajat Kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Publish:Tue, 16 Apr 2024 09:28 PM (IST) Updated:Tue, 16 Apr 2024 09:28 PM (IST)
Bihar News: ट्रैफिक नियमों को ताक पर रख कर चालक दौड़ा रहे ऑटो, परिवहन विभाग और पुलिस-प्रशासन आदेशों का पालन कराने में फेल
ट्रैफिक नियमों को ताक पर रख कर चालक दौड़ा रहे ऑटो (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। परिवहन विभाग की फाइलों में ऑटो-बस के परिचालन को लेकर तमाम नियम-कानून हैं, जुर्माने का भी प्रविधान है मगर अफसोस यह आदेश बस फाइलों में ही दफन हैं। परिवहन विभाग और पुलिस-प्रशासन इन आदेशों का अनुपालन कराने में पूरी तरह फेल है।

नतीजा, पटना की सड़कों पर ऑटो चालक नियम-कानून को धत्ता बताकर बेखौफ दौड़ाते हैं। जितनी मर्जी उतने लोग ऑटो में बिठाए जाते हैं, जहां मन वहां बीच सड़क पर ऑटो रोका जाता है और जिस तरफ से सहूलियत हो, उधर ऑटो मोड़ दिए जाते हैं।

इतने रुपये जुर्माने का है प्रावधान

नियमों के अनुसार, ऑटो और बस में सीट से अधिक यात्री बैठाए जाने पर प्रति व्यक्ति 200 रुपये जुर्माने का प्रविधान है। इसके अलावा बिना बीमा की गाड़ी चलाए जाने पर दो हजार रुपये का अर्थदंड या तीन माह जेल की सजा देने का नियम है।

पिछले साल जुलाई में बिहार पुलिस को मोटरयान अधिनियम की धारा 194 (क) के तहत क्षमता से अधिक यात्री बैठाने पर जुर्माना वसूलने की शक्ति दी गई मगर इसका अनुपालन होता नहीं दिख रहा।

अनुपालन सख्ती से हो इसके लिए चालान काटने की शक्ति पुलिस अवर निरीक्षक रैंक के पदाधिकारियों को भी दी गई मगर फिर भी ऑटो चालक नियमों को ठेंगा दिखाते रहे। ई-रिक्शा तो नियमों के अनुपालन में और भी फिसड्डी हैं, जिसका परिचालन अधिसंख्य नाबालिगों या बिना लाइसेंस के किया जा रहा।

तीन या तीन से अधिक की मौत पर संयुक्त जांच

सड़क दुर्घटना में तीन या तीन से अधिक लोगों की मौत होने पर संयुक्त दल मामले की जांच करता है। इसमें पुलिस के साथ जिला परिवहन पदाधिकारी, पथ निर्माण विभाग के पदाधिकारी आदि शामिल होते हैं। संयुक्त टीम दुर्घटना के कारणों की पड़ताल करती है, इसके साथ ही उसके समाधान के उपाय भी बताती है।

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