मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई

नवादा विश्व मगही संगठन और दिल्ली स्थित सृजन संदर्भ के द्वारा सोमवार को आयोजित मगही व्याख्यान में देश-विदेश के 46 सामाजिक राजनीतिक एवं साहित्यिक व्यक्तियों ने भाग लेकर किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:20 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 11:20 PM (IST)
मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई
मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई

नवादा : विश्व मगही संगठन और दिल्ली स्थित सृजन संदर्भ के द्वारा सोमवार को आयोजित मगही व्याख्यान में देश-विदेश के 46 सामाजिक, राजनीतिक एवं साहित्यिक व्यक्तियों ने भाग लेकर किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा किया। इस दौरान मगही के विकास के लिए भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई। विश्व मगही परिषद के संयोजक नागेंद्र नारायण और डॉ दिलीप कुमार, अध्यक्ष सृजन संदर्भ नई दिल्ली के संचालन में डॉ भरत सिंह, कमलेश शर्मा, प्रो रामनन्दन, बाबूलाल मधुकर ,घमंडी राम ,परमेशवरी ,मिथिलेश, जयप्रकाश ,नरेंद्र प्रसाद सिंह, राजकुमार प्रसाद , लालमणि विक्रांत ,उदय शंकर शर्मा ,रामकृष्ण मिश्र, सच्चिदानंद प्रेमी , उदय भारती, आनंद शंकर , ,उपेंद्र प्रेमी, कृष्ण कुमार भट्टा, आदि ने मगही भाषा के विकास में सरकार द्वारा अपनाए जा रहा उदासीन रवैया की आलोचना करते हुए मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई। 46 वा वक्ता के रूप में शामिल साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने दंडी संन्यासी स्वामी सहजानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा की स्वामी जी किसान जागरण के पुरोधा थे। अंग्रेज और जमींदारों के शोषण के शिकार किसान अंधविश्वास और आतंक में पड़े थे। स्वामी जी ने 1928 में पटना,1929 में सोनपुर मेला के समय बिहार प्रदेश किसान संघ और 1936 में राष्ट्रीय किसान सभा का गठन किया था। बिहार के जमींदारों द्वारा किसानों की जमीन नीलाम करने एवं दाना सिस्टम से किसानों की उपज हड़पने के खिलाफ सत्याग्रह किया था। बिहार के नवादा जिले के प्रसिद्ध रेवरा किसान सत्याग्रह और लखीसराय जिले के बड़हिया टाल किसान सत्याग्रह में किसानों के साथ साथ यदुनंदन शर्मा ,कार्यानन्द शर्मा, आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण, नरेंद्र देव, साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी, राहुल सांकृत्यायन ,रामदयाल पांडे फणीश्वर नाथ रेनू ,राजा राधिका रमन सिंह, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन आदि ने साथ दिया था। बताया गया कि स्वामी जी डेढ़ दर्जन पुस्तकों के लेखक थे। जिसमें मेरा जीवन संघर्ष ,झारखंड के किसान गीता हृदय प्रमुख है। कार्यक्रम के अंत में श्री रत्नाकर ने स्वामी जी के साथ बिताए कुछ पल को याद किया। कहा कि मेरे पिताजी स्वामी जी के प्रबल समर्थक थे। इसलिए दंडी संन्यासी स्वामी जी मेरे घर आया करते थे। श्री रत्नाकर ने कहा की मैं सात साल का था। स्वामी जी मेरे गांव जीप से आए थे ।जब गांव से वापस जा रहे थे तब पिता के साथ जीप के पास मैं भी खड़ा था। जिसे देखकर स्वामी जी ने मुझे गोद में ऊठाकर गाड़ी में बिठा लिया। बोले पढ़ लिखकर किसान सेवक बनना। किसान ही धरती का भगवान हैं । आज भी स्वामी जी का रोविला चेहरा और कथन अविश्वमरणीय है।

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