धान की फसल में बाली निकलते देख खुश हो रहे किसान

संसू वारिसलीगंज पिछले कई वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे वारिसलीगंज के प

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 07:21 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 05:10 AM (IST)
धान की फसल में बाली निकलते देख खुश हो रहे किसान
धान की फसल में बाली निकलते देख खुश हो रहे किसान

़फोटो-06 संसू, वारिसलीगंज : पिछले कई वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे वारिसलीगंज के प्रखंड के किसान इस वर्ष अच्छी बारिश व नहर में लगातार पानी आने के कारण अपने शत-प्रतिशत खेतो में धान की रोपनी किया है। मेहनत के बूते लगाए गए धान की फसल में अग्रिम प्रजाति की फसलों में बाली निकलना शुरू हो गया है। जिसे देखकर किसान खुश हो रहे है। वजह समय बारिश के साथ ही सकरी नहर में लगातार बह रही लाल पानी है।

बता दें की पिछले कई बर्षो से सूखाग्रस्त क्षेत्र में इस वर्ष अच्छी मानसून होने व सकरी नदी और नहर में लगातार पानी आते रहने के कारण प्रखंड क्षेत्र के किसान शत प्रतिशत यानि सरकारी लक्ष्य के अनुरूप धान की रोपनी संभव हो सकी है। क्षेत्र के किसान पिछले वर्षों में पानी की कमी के कारण कम समय में अधिक फसल देने वाले नवीनतम तकनीक की हाइब्रिड धान की फसल खेतों में लगाना शुरू कर दिया है। जिसमें मुख्य रुप से खाने में अत्यधिक उपयोगी पन्ना मंसूरी, 6444, धान्या, 778, श्वेता, सोनम आदि सीता प्रजाति की उत्तम प्रभेदों वाला धान की फसल किसान खेत में लगाने लगे हैं। जो पूर्व में लगाया जाने वाला सीता, मंसूरी, हजारबा आदि धान की प्रजाति से करीब 20 दिन पहले तैयार हो जाता है। क्षेत्र में अक्षादित लगभग आधे से अधिक भूभाग में किसान अब अग्रिम प्रजाति एवं स्वादिष्ट चावल वाला प्रजाति के हाइब्रिड धान लगाते हैं। जिसमें बाली निकालना शुरू हो गया है। एक सप्ताह पहले क्षेत्र में हुई जोरदार बारिश से प्रखंड के नहरी क्षेत्रों के साथ-साथ आधा से अधिक पंचायत जहां नहरी पानी नहीं पहुंचता है । वहां भी धान की अच्छी फसल होने की संभावना प्रबल हो गई है।

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विलुप्त होती जा रही हैं खुशबूदार बासमती प्रजाति

- पहले पर्याप्त बारिश होने के कारण लेट वेराइटी वाला मंसूरी, सीता आदि के साथ साथ प्राय: किसान अपने कुछ खेतो में कम उपज देने वाला परंतु काफी सुगन्धित उजला बासमती के साथ-साथ कारीवाग नाम से मशहूर खुशबूदार काले रंग का बासमती जरूर लगाते थे। खूबसूरत और खुशबूदार चावल का उपयोग किसान पर्व त्यौहार व विशेष मौके पर किया करते थे। लेकिन कम उपज व देर से तैयार होने के कारण पानी के अभाव में फसल झुलस जाने के भय से किसान खुशबूदार धान की दुर्लभ प्रजाति की फसलों को करीब करीब किसान लगाना लगभग छोड़ चुके हैं।

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