वन विभाग का प्लान बी भी फेल, बार-बार लोकेशन बदल रहा बाघ, पश्‍चिम चंपारण का मामला

Bihar news हरनाटांड वन क्षेत्र से अब चिउटाहां वन क्षेत्र की ओर बढ़ा बाघ मैनाहां गांव के सरेह में अंतिम बार दिखा। बाघ के भय से बाहर निकलने से डर रहे स्‍थानीय लोग। किसान पर हमले के बाद से लगातार सक्रिय है बाघ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Sep 2022 07:24 PM (IST) Updated:Sat, 24 Sep 2022 07:24 PM (IST)
वन विभाग का प्लान बी भी फेल, बार-बार लोकेशन बदल रहा बाघ, पश्‍चिम चंपारण का मामला
पश्‍चिम चंपारण में बाघ को पकड़ने में जुटी वन विभाग की टीम। फोटो- जागरण

हरनाटांड (पचं), जासं। पश्‍चिम चंपारण में बाघ के हमले से दहशत में हैं ग्रामीण। बाघ को पकड़ने में वन विभाग का प्लान बी भी फेल हो चुका है। नरभक्षी बाघ बार बार लोकेशन बदल रहा। जिसके कारण सभी उपक्रम नाकाफी साबित हो रहे। बाघ की खोज के लिए वाल्मीकिनगर से लाए गए चारों हथियों द्रोणा, मणिकंठा, बालाजी व राजा को वापस भेज दिया गया है। वन अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बरवा कला गांव के समीप लगातार इंसानी मूवमेंट बने रहने के कारण बाघ अब चिउटाहां वन क्षेत्र की ओर बढ़ता जा रहा। अंतिम बार उसे मैनाहा गांव के सरेह में धान के खेत में देखा गया। जिसके कारण लोगों में भय व्याप्त है।

एक चरवाहे पर भी किया था हमले का प्रयास

बताते चलें कि नरभक्षी बाघ ने शुक्रवार की शाम मवेशियों को चरा रहे एक चरवाहे पर हमले का प्रयास किया। हालांकि इस दौरान आसपास मौजूद वन कर्मियों की टीम ने बाघ की ओर रुख किया और शोर मचाया तो बाघ वापस गन्ने की खेत में घुस गया। उसे पकड़ने में वन कर्मियों के सारे उपाय फेल होने पर 'प्लान बी' के तहत चार हाथियों के सहारे जंगल में बाघ की खोजबीन की जा रही थी। लेकिन शुक्रवार की देर शाम बाघ नहीं पकड़े जाने से उग्र ग्रामीणों व वनकर्मियों के बीच झड़प हो गई। जिसमें एक महावत को चोट भी आई थी। जिसके बाद चारों हाथियों को देर रात वापस वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र भेज दिया गया। लेकिन बाघ पकड़ में नहीं आया। ऐसे में वन विभाग अब ट्रेंक्यूलाइजर स्पेशलिस्ट चिकित्सक व बायोलॉजिस्ट के साथ प्रशिक्षित वनकर्मियों के सहारे ही बाघ को पकड़ने में जुटी हुई है।

यहां बता दें कि शनिवार को वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक (सीएफ) डॉ. नेशामणि के. व वन प्रमंडल सह उपनिदेशक (डीएफओ) डॉ. नीरज नारायण ने रेस्क्यू स्थल पर टीम से बाघ के लोकेशन का जायजा लिया। जहां हरनाटांड़ रेंजर रमेश कुमार श्रीवास्तव, चिउटाहां रेंजर सुरेंद्र कुमार सिंह के साथ चिकित्सक व बायोलॉजिस्ट की टीम बाघ को पकड़ने में लगी हुई थी। इस दौरान वन विभाग के आला अधिकारियों ने वनकर्मियों को कई दिशा निर्देश देकर शीघ्र बाघ को पकड़ने की बात कही।

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