शहद से जीवन में खुशहाली की मिठास, इटली की मधुमक्खी 'मेलीफेरा' के चलते मुजफ्फरपुर में बढ़ा उत्पादन Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर में इटली की मधुमक्खी मेलीफेरा के चलते पांच गुना तक बढ़ा उत्पादन। तकरीबन 10 हजार मधुमक्खी पालक दो से लेकर 15 लाख तक सालाना आमदनी कर रहे।

By Murari KumarEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 02:58 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 02:58 PM (IST)
शहद से जीवन में खुशहाली की मिठास, इटली की मधुमक्खी 'मेलीफेरा' के चलते मुजफ्फरपुर में बढ़ा उत्पादन Muzaffarpur News
शहद से जीवन में खुशहाली की मिठास, इटली की मधुमक्खी 'मेलीफेरा' के चलते मुजफ्फरपुर में बढ़ा उत्पादन Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर [संजय कुमार उपाध्याय]। शहद उत्पादन से जिले के किसानों के जीवन में खुशहाली की मिठास घुल रही है। इसमें प्रमुख भूमिका इटली की मधुमक्खी 'मेलीफेरा' की है। इसके चलते शहद उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। तकरीबन 10 हजार मधुमक्खी पालकों के जीवन की तस्वीर बदल गई है। सामान्य पालक दो से पांच और बड़े 10 से 15 लाख सालाना कमा रहे। बहुत से तो दूसरे प्रदेशों में भी किराए पर जमीन लेकर मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। 

 जिले के किसान पहले देसी मधुमक्खी 'इंडिका' का पालन करते थे। इससे शहद का उत्पादन बहुत नहीं होता था। खादी ग्रामोद्योग संघ 1987 में पंजाब से इटालियन मधुमक्खी मेलीफेरा ले आया। इसका पालन किसानों ने शुरू किया तो बेहतर उत्पादन मिलने लगा। फिर तो यह मधुमक्खी किसानों में लोकप्रिय हो गई। किसान रामनंदन प्रसाद बताते हैं कि एक बॉक्स में इंडिका से अधिकतम 10 से 12 लीटर शहद का उत्पादन होता था। लेकिन, इटालियन से 50 से 60 लीटर होता है। 

लीची के सीजन में 45 हजार टन उत्पादन 

बोचहां, मीनापुर, कांटी, कुढऩी, मुशहरी, गायघाट, पारू व साहेबगंज के अधिकतर किसान मधुमक्खी पालन में लगे हैैं। मझौलिया के किसान मनोज कुमार व मुन्ना कुमार सिंह बताते हैं कि अकेले लीची के सीजन में 45 हजार टन शहद उत्पादित होता है। बिहार मधुमक्खी संघ के अध्यक्ष दिलीप कुशवाहा का दावा है कि देश के कुल शहद उत्पादन का 30 फीसद यहीं होता है। डाबर और पतंजलि जैसी कंपनियों की पसंद यहां का शहद है। 

खेत या बगीचे में रखते मधुमक्खियों के बॉक्स 

शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के बॉक्स खेतों या बगीचे में रखे जाते हैं। खासतौर पर सरसों और बाजरा की फसल के बीच। एक बॉक्स से 40 किलोग्राम से एक क्विंटल तक शहद का उत्पादन होता है। यूं तो पूरे साल उत्पादन होता है। लेकिन, अक्टूबर से मई तक ज्यादा होता है। स्थानीय स्तर पर प्रतिकूल मौसम होने पर किसान झारखंड, राजस्थान व उत्तर प्रदेश का रुख करते हैं।  

 उद्यान विभाग पटना के उप निदेशक डॉ. अजय कुमार सिंह बताते हैं कि देसी मधुमक्खी अपना बॉक्स छोड़ उडऩे की आदी है। लेकिन, इटालियन अपने बॉक्स में रहती है। इससे शहद का उत्पादन ज्यादा होता है। 

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