भारतीय संस्कृति के पोषण में लगी संस्कार भारती, नई पीढ़ी को जोड़ रही

Sanskar Bharti Muzaffarpurराष्ट्रीय स्तर पर संस्कार भारती की स्थापना जनवरी 1981 में लखनऊ में हुई थी। जिले में इसकी शाखा वर्ष 1987-88 में स्थापित हुई। शाखा की संस्थापक अध्यक्ष होने का गौरव एमडीडीएम कालेज के हिंदी की प्राध्यापक डा. कमला कनौडिया को है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 08:35 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 08:35 AM (IST)
भारतीय संस्कृति के पोषण में लगी संस्कार भारती, नई पीढ़ी को जोड़ रही
संस्कार भारती वर्तमान पीढ़ी को अपनी संस्कृति से पहचान करा रही। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। Sanskar Bharti, Muzaffarpur: कला एवं संस्कृति व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की पहचान है। यह राष्ट्र की सेवा, आराधना एवं पूजा का सशक्त माध्यम है। यह व्यक्ति को क्षणिक सुख नहीं, सच्ची शांति एवं आनंद प्रदान करती है। कला वस्तुत: एक साधना है, एक समर्पण है। इसी भावना को लेकर संस्कार भारती देश, प्रदेश एवं जिलों में काम कर रही है। संस्था सांस्कृतिक प्रदूषण का विरोध करती है और भारतीय संस्कृति की रक्षा में लगी है। जिले में भी संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के पोषण में लगी है। भारतीय कला का पोषण संस्था के कार्यक्रम से जुड़ा है। यह वर्तमान पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोडऩे का काम कर रही है। 

संस्था का इतिहास

राष्ट्रीय स्तर पर संस्कार भारती की स्थापना जनवरी 1981 में लखनऊ में हुई थी। आज देश के सभी भागों में इसकी शाखा स्थापित हो चुकी है। जिले में इसकी शाखा वर्ष 1987-88 में स्थापित हुई। शाखा की संस्थापक अध्यक्ष होने का गौरव एमडीडीएम कालेज के हिंदी की प्राध्यापक डा. कमला कनौडिया को है। वेद अग्रवाल इसके पहले सचिव बने। तब से आज तक शहर के विभिन्न लोगों ने इसे लक्ष्य तक पहुंचाने का काम किया। जिले में संस्था को आधार देने वालों में आभा मेहरोत्रा, श्यामलाल मिश्रा, नंद लाल मिश्रा, प्रो. बाहुली भट्टाचार्या, सिद्धि शंकर मिश्रा, शिवपूजन मिश्रा, मोहन चंद्रा, दीपक बंका, शिवदास पांडेय, सतीश कुमार, राजेंद्र सुरेका, रंजन कुमार सिंह, रेणु सिंह, गणेश प्रसाद सिंह, डा. रिपुसूदन श्रीवास्तव, डा. ममता रानी शामिल हैं। आज संस्था से दर्जनों लोग जुड़े हैं और इसके उद्देश्यों को पूरा करने लगे हैं।

संस्था की गतिविधियां

संस्था द्वारा अमृत महोत्सव एवं कला साधक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। विलुप्त हो रही लोक भाषाओं के संरक्षण देने को कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। अमृत महोत्सव के माध्यम से देश के विभिन्न लोग कलाओं को प्रदर्शन किया जाता है। समय-समय पर रंगोली कार्यक्रम का आयोजन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रूप-सज्जा प्रतियोगिता, दीपावली के अवसर पद दीपावली मिलन समारोह, गणतंत्र दिवस को भारत माता पूजन कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर भारतीय संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन संस्था करती है।  

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