Makar Sankranti 2021: मधुबनी में मकर संक्रांति की तैयारी जोरों पर, बाजार में सजी तिलकुट की दुकानें

इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी। 14 जनवरी को दिन के दो बजकर पांच मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके कारण मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पर स्नान दान आदि का विशेष महत्व है। जान‍िए

By Murari KumarEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 04:16 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 04:16 PM (IST)
Makar Sankranti 2021: मधुबनी में मकर संक्रांति की तैयारी जोरों पर, बाजार में सजी तिलकुट की दुकानें
लाल बाजार में सजी तिलकुट की दुकान व मौजूद दुकानदार

मधुबनी, जासं। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी। 14 जनवरी को दिन के दो बजकर पांच मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके कारण मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य व विश्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक डॉ. रामचंद्र झा बताते हैं कि सूर्य सिद्धांत की व्याख्या के अनुसार मकर संक्रांति इस बार 14 को ही मनेगी। इसकी तिथि को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं है। सामान्य रूप से भी हर साल 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाया जाता रहा है।

 पं. झा बताते हैं कि एक दिन पूर्व की मध्य रात्रि से लेकर अगले दिन के मध्य रात्रि के बीच अगर संक्रांति होती है तो मकर संक्रांति उसी दिन मनायी जाती है। सूर्य सिद्धांत में इसका स्पष्ट विवरण मिलता है। चूंकि 14 जनवरी को मध्य रात्रि से पूर्व दिन के 2:05 बजे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसलिए मकर संक्रांति 14 को ही मनाई जाएगी। खगोल शास्त्रियों के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण होकर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं।

स्नान-दान का है विशेष महत्व

मकर संक्रांति पर स्नान, दान आदि का विशेष महत्व है। खासकर संगम में स्नान का विशेष महत्व कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर संक्रांति के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान करने आते हैं। संगम में मकर संक्रांति पर्व के दिन स्नान करना अत्यन्त पुण्य को प्राप्त करने के समान है। इसी मान्यता के अनुसार लोग मकर संक्रांति के दिन गंगा या अन्य सरोवर में स्नान करते हैं। नहाने के बाद धार्मिक मान्यता के अनुसार लोग कर्मकांड करते हैं।

संक्रांति के दिन खा सकते हैं खिचड़ी 

बहुत लोग ऐसे हैं जो गुरुवार को खिचड़ी नहीं खाते। ऐसे लोग अलगे दिन खिचड़ी खाते हैं। गुरुवार को मकर संक्रांति होने पर कई लोग उस दिन खिचड़ी नहीं खाते। पं. झा कहते हैं कि यह गलत है। मकर संक्रांति जिस दिन होगी, खिचड़ी उसी दिन खानी चाहिए। दिन में दही चुड़ा, तिल, गुड़ खाने के बाद रात में खिचड़ी का आनंद लोग ले सकते हैं। बता दें कि मकर संक्रांति को रात में कुर्थी के दाल से बना खिचड़ी खाने का धार्मिक महत्व बताया गया है।

बाजारों में बढ़ी तिलकुट की बिक्री

मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में तिलकुट की बिक्री में भी तेजी आ गई है। इस बार लगभग एक करोड़ के कारोबार की उम्मीद है। कई जगह गया के कारीगरों को बुलाया गया है। शहर में दुकान लगाने वाले शत्रुघ्न शनिचर ने बताया कि गया के आठ कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं। इस बार चीनी तिलकुट 200 रुपये प्रतिकिलो, खोआ तिलकुट 600 रुपये प्रतिकिलो, तिल पापड़ी 300 रुपये प्रतिकिलो, लूज तिलकुट 260 रुपये प्रतिकिलो, तिलवा 300 रुपये प्रतिकिलो, चीनी पापड़ी 300 रुपये प्रतिकिलो, तिलकतरी 300 रुपये प्रतिकिलो व गजक 300 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है।

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