RBI : हिंदी के उत्कृष्ट लेखकों का किया जाएगा सम्मान, जानें क्या मिलेगा इनाम Muzaffarpur News

RBI बैंकिंग हिंदी में मौलिक लेखन और शोध को प्रोत्साहित करने की दिशा में पहल। आरबीआइ की पुरस्कार योजना के लिए यूजीसी ने मांगीं रचनाएं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 09:13 AM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 09:13 AM (IST)
RBI : हिंदी के उत्कृष्ट लेखकों का किया जाएगा सम्मान, जानें क्या मिलेगा इनाम Muzaffarpur News
RBI : हिंदी के उत्कृष्ट लेखकों का किया जाएगा सम्मान, जानें क्या मिलेगा इनाम Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आर्थिक, बैंकिंग, वित्तीय विषयों पर हिंदी में लिखी गईं मौलिक पुस्तकों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पुरस्कारों की घोषणा की है। एक लाख पच्चीस हजार रुपये के तीन पुरस्कार दिए जाएंगे। इन विषयों में ङ्क्षहदी में मौलिक लेखन और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए ये योजना बनाई गई है। इस योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में कार्यरत व सेवानिवृत्त प्रोफेसरों (सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर आदि) से उनकी लिखित मौलिक पुस्तकों के लिए प्रस्ताव मांगा गया है।

इस पुरस्कार योजना के लिए प्रार्थी अपना ब्योरा एक नवंबर, 2019 तक आरबीआइ मुख्यालय को प्रेषित कर सकते हैं। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी व महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी से भी प्रस्ताव मांगा गया है। देशभर के कुल 227 विश्वविद्यालयों को इस पुरस्कार योजना में शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कुलपतियों को इस बाबत पत्र भेजा है।

आर्थिक/बैंकिंग/वित्तीय विषयों पर हों रचनाएं

राजभाषा स्वर्ण जयंती समारोह के उपलक्ष्य में रिजर्व बैंक ने 2016 में बैंकिंग पर हिंदी में उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कार योजना की घोषणा की थी। बैंकिंग हिंदी के क्षेत्र में मूल लेखन की कमी काफी दिनों से महसूस की जा रही थी। इसे दूर करने तथा हिंदी में आर्थिक/वित्तीय विषयों पर मौलिक लेखन को प्रोत्साहित करने की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर डॉ. रघुरामजी राजन ने ये पहल की थी।

बैंकिंग क्षेत्र के लिए हिंदी सांविधिक अपेक्षाओं का अनुपालन मात्र नहीं है। ग्राहक सेवा और मार्केटिंग जैसे महत्वपूर्ण मसलों में ग्राहक की भाषा ही उन्हें जोडऩे का कार्य करती है। इसलिए आवश्यक है कि ग्राहक वर्ग बढ़ाने और व्यवसाय की लाभप्रदता बनाए रखने के लिए हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को ज्यादा से ज्यादा अपनाया जाए। 

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