जीवन को कैसे जीएं, ये हमारी दृष्टि पर निर्भर

जीवन को हम कैसे जीते हैं यह हमारी दृष्टि पर निर्भर है। हमें न तो किसी अभाव में और न ही किसी के प्रभाव में जीना है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jan 2020 03:07 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jan 2020 06:13 AM (IST)
जीवन को कैसे जीएं, ये हमारी दृष्टि पर निर्भर
जीवन को कैसे जीएं, ये हमारी दृष्टि पर निर्भर

मुजफ्फरपुर। जीवन को हम कैसे जीते हैं, यह हमारी दृष्टि पर निर्भर है। हमें न तो किसी अभाव में और न ही किसी के प्रभाव में जीना है। अगर जीना ही है तो अपने स्वभाव अनुसार जीना है। ये बातें शनिवार को सिकंदरपुर स्थित श्रीराणी सती मंदिर 'दादी धाम' में चल रही संगीतमय हनुमंत कथा के चौथे दिन शनिवार को कथा व्यासमहाराज प्रदीप भैया ने कहीं। कहा कि आज मनुष्य परेशान है। खुद को देखकर नहीं, बल्कि दूसरों की तरक्की व उन्नति देखकर। हम अपने ईमान को बचाकर रखें, यही बड़ी बात है। कहा कि युवाओं के आइकॉन हनुमान हों, न कि आम जन। शिक्षित नौजवानों के मार्ग में सुरसा व तारका जैसी कई बाधाएं आएंगी हीं, मगर उन्हें उन बाधाओं को पार करना है।

व्यक्ति को बदलने

का माध्यम है कथा

प्रदीप भैया ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की सोच बदल रही है। हमें जीना कैसे है, ये व्यवहार बनाओ। कथा तो व्यक्ति को बदलने का माध्यम है और व्यक्ति से समाज। अच्छे व बुरे लोग हर युगों में आते हैं। अगर हमने समाज में जन्म लिया तो कुछ ऐसा करें कि कृति रह जाए। कथा के दौरान बीच-बीच में संगीतमय प्रस्तुति लोगों को मुग्ध कर रही थी। कथा में संयोजक पुरुषोत्तम लाल पोद्दार, मंदिर ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष श्याम सुंदर भीमसेरिया, रतन लाल तुलस्यान, रामऔतार नाथानी, रमेश झुनझुनवाला, अंकज कुमार, श्रवण सर्राफ, दीपक पोद्दार, गोविंद भिवानीवाला आदि थे।

जन्म-मरण के भय को दूर करते प्रभु रामचंद्र प्रभु श्रीरामचंद्र जन्म-मरण के भय को दूर करने वाले हैं। वे सब प्राणियों की रक्षा करते हैं। वे अकारण ही दीनहीन प्राणियों पर दया करने वाले करुणानिधान हैं। ये बातें श्री सीताराम परिकर सेवा समिति की ओर से राहुल नगर, ब्रह्मापुरा में चल रहे रामकथा महोत्सव के सातवें दिन कथावाचक मनीष माधव जी महाराज ने कहीं। उन्होंने श्रोताओं को भगवान की बाल लीलाओं का रसपान कराया। प्रसंग के दौरान ताड़का राक्षसी का वध, सुबाहु राक्षस संहार, महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार आदि की चर्चा हुई। कथा में वार्ड पार्षद गायत्री चौधरी, भवेश भारद्वाज, डॉ.रविभूषण सिंह, महेंद्र ठाकुर, कुंदन शर्मा, चुन्नू सिंह, हरिमोहन चौधरी, पंडित शंभूनाथ चौबे, मदनानंद जोगी, संजय कुमार आदि थे।

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