टूट रहा मधुबन दक्षिणी के लोगों का ख्वाब, कई वार्ड में दम तोड़ गई हर घर बिजली योजना

हाल जिले के मधुबन प्रखंड का। बगल के घरों में बिजली की सुविधा। आजादी के बाद से अबतक लालटेन युग में जीने को विवश हैं। बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह हो रही प्रभावित।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 04:48 PM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2019 07:50 AM (IST)
टूट रहा मधुबन दक्षिणी के लोगों का ख्वाब, कई वार्ड में दम तोड़ गई हर घर बिजली योजना
टूट रहा मधुबन दक्षिणी के लोगों का ख्वाब, कई वार्ड में दम तोड़ गई हर घर बिजली योजना

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। जब-जब चुनाव आता है तो लोगों को अपनी समस्याओं की याद बहुत आती है। खासतौर पर वैसी समस्याएं बहुत ज्यादा सताती हैं, जिनका समाधान आसानी से किया जा सकता है। बात शिवहर लोक सभा के अधीन मधुबन प्रखंड मुख्यालय के मधुबन दक्षिणी पंचायत के वार्ड नंबर- 2, 9, 10 व 11 की। यहां के लोग आजादी के बाद से लगातार बिजली की राह देख रहे हैं। हालांकि, पंचायत के कुछ हिस्सों में बिजली है।

   कुछ हिस्से की बड़ी आबादी बिजली के लिए आज के इस आधुनिक दौर में भी काफी पीछे हैं। यहां के लोग आजादी के बाद से अबतक लालटेन युग में जीने को विवश हैं। बताया गया है कि गांव के कुछ इलाकों में बिजली के पोल लगे हैं। लेकिन, ये पोल बस पोस्टर व पर्चा चस्पा करने के काम आ रहे हैं। नतीजा यह कि बच्चों की पढ़ाई और बिजली आधारित अन्य कार्य बुरी तरह प्रभावित होते हैं। विभाग अपनी शिथिलता के चक्कर में लगा है।

ग्रामीणों ने कहा- आखिर किस बात की मिल रही सजा

उपरोक्त वार्डों के निवासी मोहन राय, बालदेव राय, प्रेम यादव, जगन्नाथ यादव, अशर्फी यादव, चंद्रदेव राय, चंद्रिका राय, शिव ठाकुर, रामदेव राय, उमेश ठाकुर, भोला राय, अनिल यादव, शशिभूषण यादव, यादवलाल साह, महेंद्र साह, प्रमोद यादव, सुनील यादव, जगन्नाथ साह समेत कई ग्रामीण बताते हैं- हमें और हमारे गांव के लोगों को किस बात की सजा मिली है। प्रखंड मुख्यालय में रहते हैं, फिर भी ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं। न तो हमारे बच्चों की पढ़ाई ठीक तरीके से हो रही है। नहीं बिजली आधारित इलेक्ट्रॉनिक संयंत्र ही चल रहे हैं।

तो दबा देंगे नोटा

ग्रामीणों का कहना है कि बिजली बुनियादी सुविधा है। लेकिन, हमारे क्षेत्र में आजादी के बाद अबतक नहीं आई। अब तो हमें लगता है कि विभाग तो लापरवाह रहा। लगे हाथ हमारे प्रतिनिधि भी मौन साधे रहे। तभी जन प्रतिनिधियों की मशक्कत के बाद बिजली विभाग द्वारा क्षेत्र में पोल खड़ा कर दिया गया। लेकिन, बिजली नहीं आई।

   कई महिलाओं ने पोल देख बड़े उत्साह से अपने घर एलसीडी खरीद कर रखा। लेकिन, टेलीविजन देखने की यह चाहत अधूरी रह गई और घर में बिजली आना एक सपना बनकर रह गया। यदि हमारी स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हम चुनावों में नोटा दबा देंगे। हम किसी को भी पसंद नहीं करेंगे।

गरीबों के बच्चों की पढ़ाई पर भी आफत

इस इलाके की स्थिति शाम में अजीब दिखती है। यहां ढिबरी दिखता है। हालांकि कुछ बड़े किसानों ने बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था कर बच्चों को पढ़ाने की कवायद की है। लेकिन, गरीब मजदूरों के बच्चे थोड़ी देर ढिबरी में पढ़ते हैं। कई घरों के बच्चे बिना पढ़े ही सो भी जाते हैं। गरीब अभिभावक बताते हैं हम लोग अंधेरे में ही गुजर बसर कर लेते हैं। यह हमारी नियमित दिनचर्या है। पंचायत के मुखिया अनिरुद्ध राय ने बताते है- बिजली विभाग द्वारा हर 3 महीने पर आश्वासन ही मिलता है। काम नहीं होता।

सामान की कमी के कारण समस्या

बिजली विभाग के प्रोजेक्ट अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि यह काम ईएमसी कंपनी को दिया गया है। लेकिन, मेटेरियल नहीं होने के कारण कार्य बाधित हो गया है। कहा कि कनेक्शन का कार्य शीघ्र पूरा लिया जाएगा। पंचायत के मुखिया अनिरुद्ध राय ने कहा कि विभागीय लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। फिलहाल कार्य शुरू हो गए हैं। जल्द ही लोगों के घरों में बिजली होगी।

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