Bihar, Purvi Champaran Election: विकास के दावे और बिरादरी के भरोसे यहां ताल ठोंक रहे उम्मीदवार

Bihar Purvi Champaran Election चंपारण की धरती से गांधीजी ने जातीय संकीर्णता दूर करने का किया था आह्वान। चुनाव में विकास के मुद्दों को छोड़ जातीय समीकरण साधने के विचार पर बुद्धिजीवी दुखी। विकास की बात भाषणों तक सीमित है धरातल पर जातीय समीकरण हावी है।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 15 Oct 2020 04:58 PM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2020 04:58 PM (IST)
Bihar, Purvi Champaran Election: विकास के दावे और बिरादरी के भरोसे यहां ताल ठोंक रहे उम्मीदवार
चंपारण में विकास की बात भाषणों तक सीमित है, धरातल पर जातीय समीकरण हावी है

पूर्वी चंपारण [अनिल तिवारी]। चंपारण में जातीय समीकरण के अनुसार प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं। यह बात और है कि यहां हर दल का दावा विकास का है। जिस धरती से बापू ने सत्य और अहिंसा का उद्घोष किया था, जातीयता दूर करने का आह्वान किया, आज वहां राजनीति की जातीय संकीर्णता देख बुद्धिजीवी हैरान, परेशान व दुखी हैं। विकास की बात भाषणों तक सीमित है, धरातल पर जातीय समीकरण हावी है। 

 चंपारण में दूसरे और तीसरे चरण के लिए विभिन्न दलों द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में वैसे चेहरे सामने लाए जा रहे, जिनसे जातीय समीकरण साधने में आसानी रहे। मौजूदा चुनाव में भाजपा ने चंपारण में वैश्य व अति पिछड़ा कार्ड खेला है। वहीं, राजद अपना पुराना माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण भूल नहीं पाया। राजग में महागठबंधन की तुलना में सवर्ण उम्मीदवार कुछ अधिक हैं।

जातीय चेहरे के आधार पर बदले जा रहे प्रत्याशी

एनडीए ने बेतिया, चनपटिया, लौरिया, सिकटा, नौतन, गोविंदगंज, कल्याणपुर, पिपरा, मोतिहारी व मधुबन में उसी जाति के चेहरे को उतारा है जो पिछले चुनाव में थे। चनपटिया में भाजपा ने विधायक प्रकाश राय का टिकट काटकर मुखिया उमाकांत सिंह को प्रत्याशी बनाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। हालांकि, रक्सौल में पार्टी ने रिस्क लिया है। छह बार से जीत दिला रहे डॉ. अजय कुमार सिंह को किनारे लगा दिया है। उनकी जगह जदयू से भाजपा में आए कुर्मी जाति के प्रमोद कुमार सिन्हा पर दांव लगाया है। राजद ने केसरिया, सुगौली व चिरैया में पिछले चेहरे को बदल दिया है। केसरिया में विधायक डॉ. राजेश कुमार की जगह उनकी ही जाति के संतोष कुशवाहा को भेजा है।

 वहीं, सुगौली में ओमप्रकाश चौधरी को हटाकर मोतिहारी सीट से लडऩे का अवसर दिया है। उनकी जगह राजपूत जाति के ई. शशिभूषण सिंह उर्फ शशि सिंह को अपना सिंबल दिया है। चिरैया में भी पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण यादव की जगह नवोदित नेता अच्छेलाल प्रसाद यादव पर दांव लगाया है। हालांकि, इस बार लौरिया से भी अपने पुराने प्रत्याशी को बदल दिया है। कुर्मी समाज के बड़े नेता रणकौशल प्रताप सिंह उर्फ गुड्डू पटेल की जगह ब्राह्मण समाज के लौरिया प्रखंड प्रमुख शंभू तिवारी को एक बार फिर मौका दिया है। चंपारण में एकमात्र गोविंदगंज ऐसी सीट है, जहां भाजपा व लोजपा दोनों दलों ने ब्राह्मण प्रत्याशी दिए हैं। लोजपा से सिटिंग विधायक राजू तिवारी तो भाजपा से सुनील मणि तिवारी प्रत्याशी बनाए गए हैं। कांग्रेस से भी किसी ब्राह्मण को ही मैदान में उतारने की चर्चा है।

 अल्पसंख्यक समाज की बात करें तो एनडीए ने जदयू कोटे से सिकटा में अपने पुराने मुस्लिम चेहरे व राज्य में मंत्री फिरोज आलम उर्फ खुर्शीद आलम को मैदान में उतारा है। वहीं, राजद ने ढाका से फैसल रहमान व नरकटिया से डॉ. शमीम अहमद को फिर से मौका दिया है।

जातीय चश्मे से देखे जा रहे प्रत्याशी

ग्रामीण बैंक के सेवानिवृत्त क्षेत्रीय प्रबंधक अरुण कुमार सिन्हा का कहना है कि राजनीतिक दल जातीय चश्मे से देखकर टिकट देते हैं। पहले ऐसा नहीं था। पहले व्यक्तित्व और कृतित्व हावी होता था। जनता भी उसी हिसाब से कद मापती थी। पूर्व मंत्री व गांधी संग्रहालय के सचिव वयोवृद्ध गांधीवादी ब्रजकिशोर सिंह भी मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से दुखी हैं। कहते हैं-आदर्श व सैद्धांतिक मूल्य तिरोहित हो रहे हैं। अधिकतर राजनेता के लिए कोई निर्धारित मापदंड नहीं है। व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए जनाकांक्षाओं की बलि दी जा रही। 

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