उर्दू स्कूलों में रविवार को भी बंदी

मुजफ्फरपुर। सरकारी उदासीनता तथा विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से प्रखंड के कई उर्दू सरकारी उदासीनता तथा विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से प्रखंड के कई उर्दू विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है।

By Edited By: Publish:Mon, 05 Dec 2016 01:27 AM (IST) Updated:Mon, 05 Dec 2016 01:27 AM (IST)
उर्दू स्कूलों में रविवार को भी बंदी

मुजफ्फरपुर। सरकारी उदासीनता तथा विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से प्रखंड के कई उर्दू विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है। कागज पर स्कूल का संचालन दिखा कर लाखों का वारा-न्यारा किया जा रहा है। एचएम की मर्जी से ही विद्यालय का संचालन होता है। यहां शुक्रवार को छुट्टी व रविवार को वर्ग संचालन होता है, लेकिन जब हमारे प्रतिनिधि ने ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड के तहत उर्दू स्कूलों का जायजा लिया तो तस्वीर उल्टी दिखी। यानि इन स्कूलों में भी रविवार की बंदी दिखी।

12.15 बजे : राजकीय प्राथमिक विद्यालय धरहारा उर्दू में ताला लटक रहा था। न बच्चे थे और न ही शिक्षक। विभागीय अधिकारियों से जानकारी मिली की शुक्रवार को उर्दू विद्यालय में सरकारी छुट्टी है, जबकि रविवार संचालन दिवस है। विद्यालय सुबह नौ बजे से चार बजे तक चलता है। कुछ देर के बाद ग्रामीण वहां जमा होने लगे तथा विभागीय अधिकारी समझकर शिक्षा विभाग पर गुस्सा उतारने लगे। ग्रामीण मो. आविद की किराना दुकान स्कूल के सामने है। वे कुछ अधिक ही नाराज दिखे। आरोप लगाया कि अधिकारी आते हैं और ग्रामीणों से पूछताछ कर चले जाते हैं। कोई कार्रवाई तक नहीं होती। यहां सरकार का नियम नहीं, एचएम की मनमानी चलती है। वयोवृद्ध तैयब अली बताते हैं कि स्कूल के खुलने व बंद होने की जानकारी लोगों के नहीं है। इसकी जानकारी सिर्फ मास्टर साहब को है। मैनुदीन एवं सकदर अली ने भी विद्यालय संचालन में अनियमितता बरतने एवं गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप शिक्षकों पर लगाया। सलमा खातून डर कर बोलीं कि मास्टर से कौन बैर लेने जाए। बता दें कि राप्रावि.धरहारा उर्दू में रहमत अली लंबे अर्से से एचएम हैं। कार्यलय के अनुसार इनके विरोध में विभागीय जांच चल रही है। यहां चार शिक्षक कार्यरत हैं। बच्चों के एमडीएम में भारी गड़बड़ी की जाती है।

12.35 बजे : राप्रावि सेमरा ननकार उर्दू में भी ताला बंद मिला।

12.55 बजे रामवि.विशुनपुरा उर्दू भी बंद था। स्कूल में राजमिस्त्री व मजदूर काम कर रहे थे परन्तु शिक्षक व बच्चे नदारद थे और विद्यालय में ताला लटक रहा था।

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