चौदह लोकों की प्रतीक हैं अनंत की 14 गांठें

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)
चौदह लोकों की प्रतीक हैं अनंत की 14 गांठें
चौदह लोकों की प्रतीक हैं अनंत की 14 गांठें

मुजफ्फरपुर। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है। इस दिन अनंत के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा के बाद पुरुष दायें तथा स्त्रिया बायें हाथ में अनंत धारण करती हैं। यह राखी के समान रूई या रेशम का कुमकुम रंग में रंगा धागा होता है। इसमें चौदह गांठें होती हैं। शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र और हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा बताते हैं कि यह धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने तथा अनंत फल देने वाला माना गया है। व्रत धन-पुत्रादि की कामना से किया जाता है। इस दिन नए धागे के अनंत को धारण कर पुराने का त्याग कर देना चाहिए। व्रत का पारण ब्राह्मण को दानादि देकर करना चाहिए। अनंत की 14 गाठें 14 लोकों की प्रतीत मानी गई हैं। उनमें अनंत भगवान विद्यमान हैं।

ऐसे करें पूजा :

इस दिन व्रती को चाहिए कि सुबह स्नानादि नित्यकर्मो से निवृत्त होकर कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके आगे कुमकुम, केसर या हल्दी से रंगकर बनाया हुआ कच्चे धागे का 14 गांठों वाला अनंत भी रखा जाता है। कुश के अनंत की वंदना कर उसमें भगवान विष्णु का आह्वान व ध्यान करके गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। इसके बाद अनंत देव का ध्यान कर शुद्ध अनंत को अपनी भुजा पर बाध लें। पूजा के दौरान अनंत भगवान की कथा भी सुनें।

व्रत की महिमा

यूं तो यह व्रत नदी तट पर किया जाना चाहिए और भगवान श्रीहरि विष्णु की लोक कथाएं सुननीं चाहिए। लेकिन, संभव नहीं होने पर घर में ही स्थापित मंदिर के सामने भगवान का आह्वान कर पूजा करनी चाहिए। अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिल्य ऋषि एवं उनकी स्त्री शीला की गाथा भी सुनाई जाती है। अनंत व्रत चंदन, धूप, पुष्प, नैवेद्य आदि उपचारों के साथ किया जाता है। व्रत के विषय में कहा जाता है कि यदि यह व्रत 14 वर्षो तक किया जाए, तो व्रती इस लोक में सुख भोगकर विष्णु लोक की प्राप्ति करता है।

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