बचपन में छिनी ममता की छांव, संभलने से पहले नहीं रहे पांव

एसकेएमसीएच का कक्ष छह, बिस्तर पर लाचार पड़ा युवक।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 08:00 AM (IST)
बचपन में छिनी ममता की छांव, संभलने से पहले नहीं रहे पांव
बचपन में छिनी ममता की छांव, संभलने से पहले नहीं रहे पांव

मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच का कक्ष छह, बिस्तर पर लाचार पड़ा युवक। भाग्य और अपनों की बेरुखी से जार-बेजार। न कोई देखने वाला, न पूछने वाला। आंखों से बहते अविरल आंसू। मेडिकल के रिकॉर्ड में दर्ज उसकी पहचान के लिए कुछ ऐसे ही शब्द हैं। जो छह माह पूर्व ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद भर्ती है। मोतीपुर के नरियार के बैद्यनाथ सहनी का 18 वर्षीय पुत्र मिठू कुमार अब दोनों पैरों से लाचार है। होश संभालने से पहले मां-बाप को खो देनेवाला मिठू नरियार स्टेशन पर ही ट्रेन से उतरने के क्रम में गिर गया और घुटने से नीचे उसके दोनों पांव कटकर अलग हो गए। इसके बाद उसके साथ क्या हुआ पता नहीं चला। कई दिन बाद जब होश आया तो खुद को एसकेएमसीएच के बिस्तर पर पाया। कई दिनों तक यकीन नहीं हो पाया कि उसके दोनों पांव नहीं।

बचपन में ही सिर से उठ गया माता-पिता का साया

मिठू को तो अपने पिता की छवि तक याद नहीं। जन्म के कुछ दिन बाद ही चल बसे। मां का दुलार भी तो ज्यादा दिन तक नहीं मिला। पति के निधन से आहत मां प्रमिला देवी का साया भी उसके सिर से उठ गया। कहने को तीन भाई रत्न सहनी, भोला सहनी व विकास सहनी हैं। गांव घर में रिश्ते के कई और लोग भी हैं, लेकिन माता-पिता का साथ छूटते ही सारे बेगाने व स्वार्थी हो गए। हादसे के बाद तो किसी ने पलटकर देखा तक नहीं।

हिम्मत कर खुद को सहेजा, पर..

मिठू कहता है कि माता-पिता के जाने के बाद तो सबकुछ खत्म हो गया। काफी हिम्मत कर खुद को सहेजा। उनकी यादों के सहारे जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर ही रहा था। पर, किस्मत को यह मंजूर नहीं था। जीवन में चलने से पहले ही दोनों पैर कट गए। अब, तो कोई उम्मीद ही नहीं बची। जीवन भर के लिए लाचार हो गया। यह लाचारी कहां तक जाएगी और इससे क्या हासिल होगा, पता नहीं। अभी अस्पताल के भरोसे हूं, यहां से निकलकर कहां जाऊंगा, किनके बीच जाऊंगा, यह भी तो नहीं जानता।

एसकेएमसीएच में भर्ती मिठू का समुचित इलाज किया जा रहा। उसे अस्पताल से सभी दवाएं व जांच मुफ्त उपलब्ध कराई जा रहीं। पथ्य, पौष्टिक आहार व वस्त्र भी दिए जा रहे।

-डॉ. एसके शाही, अधीक्षक

एसकेएमसीएच

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