बिहार में बाघ की दुर्लभ कब्र के बगल में सो रहा अंग्रेज थामस रार्बट, रोचक है मुंगेर की 156 साल पुरानी कहानी

बिहार में देश की पहली बाघ की कब्र है। इस दुर्लभ कब्र के पास ही अंग्रेज थामस राबर्ट भी सो रहा है। 156 साल पुरानी बाघ की कब्र और थामस राबर्ट के बीच हुई जंग का किस्सा रोचक है।

By Rajnish KumarEdited By: Publish:Fri, 07 Oct 2022 07:34 PM (IST) Updated:Fri, 07 Oct 2022 07:34 PM (IST)
बिहार में बाघ की दुर्लभ कब्र के बगल में सो रहा अंग्रेज थामस रार्बट, रोचक है मुंगेर की 156 साल पुरानी कहानी
बिहार में देश की पहली बाघ की कब्र, अंग्रेज ने पत्नी को बचाने के लिए किया था शिकार।

जागरण संवाददाता, मुंगेर : बिहार के VTR (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के एक आदमखोर बाघ ने पांच लोगों की जान ले ली। इसके बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने उस आदमखोर बाघ को गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है। ऐसे में बिहार पशु-मानव संघर्ष से जुड़ी एक रोचक कहानी से रूबरू होना जरूरी हो जाता है। दरअसल,  बिहार में देश की पहली बाघ की कब्र मौजूद है। मुंगेर जिले में स्थित इस कब्र के ठीक बगल में राबर्ट थामस नाम का अंग्रेज भी अनंतकाल के लिए सो रहा है। मानें उसकी भी कब्र बाघ के कब्र के बगल में बनी हुई है। इन दोनों की कब्रों से जुड़ी दिलचस्प कहानी है।

कहते हैं कि बिहार में पहली बार 156 वर्ष पहले 1864 में बाघ का शिकार अंग्रेज थामस रार्बट ने किया था। आठ फरवरी 1862 को बने एशिया के पहले (ईस्ट इंडिया रेलवे लोकोमोटिव वर्कशाप) अब जमालपुर रेल कारखाने में फोरमैन थे। 13 जून 1864 की सुबह थामस राबर्ट की पत्नी एलिजा सुबह में गोल्फ ग्राउंड में टहल रही थी। इस बीच एक बाघ ने एलिजा पर हमला कर दिया। पत्नी पर हमला करता देख थामस बंदूक लेकर कूद गए। इस बीच हाथ से बंदूक दूर छिटक कर गिर गई। ऐसे में बाघ थामस पर हावी हो गया। उसने पंजे और दांत से थामस पर हमला कर दिया। आखिरी सांस में थामस ने कर दिया काम तमाम लेकिन...

पत्नी उस वक्त मदद के लिए चिल्लती रही। किसी तरह बंदूक को उन्होंने उठाया और बाघ पर गोली चला दी और आखिरकार बाघ को थामस ने मार दिया। कुछ देर बाद ही थामस की भी मृत्यु हो गई। अंग्रेजी अफसरों ने जमालपुर काली पहाड़ी के नीचे गोल्फ ग्राउंड में बाघ और थामस राबर्ट की कब्र बनवाई।

(बाघ की कब्र)अभी भी परपौत्री आती है

लोग कहते हैं कि ये देश में बाघ की पहली कब्र होगी। दोनों की क्रबें आसपास ही हैं। पुराने इतिहासकार बताते हैं कि आनंदमार्ग के संस्थापक बाबा आनंदमूर्ति से जुड़ी कई किताब में भी इस बात का जिक्र है। प्रभात रंजन सरकार उर्फ आनंदमूर्ति बाघ की कब्र पर साधना किया करते थे। वर्षों तक थामस रार्बट की परपौत्री फ्रेया कब्र पर आकर श्रद्धांजलि देने पहुंचती थी।

1862 में स्थापित हुआ था कारखाना

एशिया के पहले (ईस्ट इंडिया रेलवे लोकोमोटिव वर्कशाप) अब जमालपुर रेल कारखाने की स्थापना आठ फरवरी 1862 में हुई थी। अंग्रेजों ने जमालपुर की प्राकृतिक छटा, गंगा से पानी की उपलब्धता और सस्ते मजदूरों की वजह इस जगह को चुना था। जमालपुर को अंग्रेजों ने अपना आशियाना बनाया था। उस वक्त ज्यादातर कारखाने में छोटे और बड़े पदों पर अंग्रेज ही होते थे।

काली पहाड़ी क्षेत्र रहा है बाघों का बसेरा

जमालपुर का काली पहाड़ी क्षेत्र बाघों का बसेरा रहता था। काली पहाड़ी के पीछे घना जंगल है। जंगल में बाघ रहते थे। यह जंगल अंदर ही अंदर धरहरा, खड़गपुर और जमुई, लखीसराय जिले से जुड़ा है। काली पहाड़ी से लेकर धरहरा तक के जंगलों में बाघों की अच्छी संख्या थी।

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