छात्र संघ चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही संगठनों की बढ़ी बेचैनी

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव का बिगुल बजते ही विभिन्न छात्र संगठन अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट चुके हैं। पिछले चुनाव के प्रदर्शन की समीक्षा के साथ ही इस चुनाव में बेहतर के लिए वे लगातार मंथन में जुटे है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Sep 2019 12:08 AM (IST) Updated:Tue, 24 Sep 2019 06:34 AM (IST)
छात्र संघ चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही संगठनों की बढ़ी बेचैनी
छात्र संघ चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही संगठनों की बढ़ी बेचैनी

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव का बिगुल बजते ही विभिन्न छात्र संगठन अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट चुके हैं। पिछले चुनाव के प्रदर्शन की समीक्षा के साथ ही इस चुनाव में बेहतर के लिए वे लगातार मंथन में जुटे है। सांगठनिक स्तर पर विमर्श के लिए भी संगठनों को पर्याप्त समय मिला है। पिछले चुनाव के परिणाम के आधार पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस बार भी जीत का दावा कर रहा है। वहीं, पिछली बार विवि पैनल के चुनाव में पिछड़ने वाला मिथिला स्टूडेंट यूनियन इस बार पिछली गलतियों से सबक लेकर खुद को मजबूत दावेदार के रूप में पेश कर रहा है। इधर, वामपंथी छात्र संगठन में गठबंधन के आसार दिख रहे है। ऐसा हो सकता है कि प्रथम चरण के चुनाव में चारों वामपंथी छात्र संगठन आइसा, एआइएसएफ, एआइडीएसओ व एसएफआइ चारों जिला में एक साथ चुनाव में उतरे। वामपंथी छात्र संगठन के एक सक्रिय कार्यकर्ता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि इस बार प्रथम चरण में चारों जिलों में वामपंथी एक होकर चुनाव लड़ सकते हैं। इस दिशा में चारों संगठन के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास शुरू हो चुका है। एक संभावना यह भी बन रही है कि पिछली बार जो गठबंधन विवि पैनल के चुनाव में बना, वह गठबंधन इस बार प्रथम चरण के चुनाव में ही बन जाए। हालांकि, फिलहाल इस संभावना से छात्र संगठनों के प्रतिनिधि इंकार कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो चुनावी समर में कुछ भी असंभव नहीं है। फिलहाल जो स्थिति बन रही है उसमें छात्र संघ चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं।---------------------------------अभाविप का दावा सबसे मजबूत : पिछले चुनाव के परिणाम को देखते हुए अभाविप का दावा सबसे मजबूत नजर आ रहा है। पिछली बार विवि पैनल के लिए काउंसिल मेंबर के कुल 210 पद थे। इनमें से करीब एक तिहाई काउंसिल अभाविप के साथ थे। चुनाव में अभाविप को इतने वोट भी मिले थे। इस बार भी काउंसिल मेंबर की संख्या कमोबेश इसी आसपास रहने की संभावना है। वास्तविक संख्या प्रथम चरण के मतदाता सूची जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।----------------------------------पिछली गलतियों से सबक ले चुका एमएसयू : पिछले चुनाव की गलतियों से सबक लेकर एमएसयू इस बार नए जोश के साथ मैदान में है। संगठन सूत्रों की मानें तो पहली बार कम संख्या व अभाविप और संयुक्त छात्र संगठन से वैचारिक विभेद के कारण यूनियन विवि पैनल के चुनाव से बाहर रहा। दूसरी बार चुनावी समीकरण में ओइछड़ गया। इस बस संगठन पहले से तैयार है। -----------------------------------संभावनाओं पर विचार कर रहे वामपंथी : वामपंथी छात्र संगठन पिछली हार का बदला इस चुनाव में लेने की जुगत में हैं। वे हर संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, संगठन के सूत्रों की मानें तो प्रथम चरण में वामपंथी छात्र संगठन एक प्लेटफार्म पर आ सकते हैं, लेकिन अन्य संगठनों से गठबंधन की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। अगर चारों वामपंथी छात्र संगठन चारों जिला में साथ चुनाव लडें तो अपनी संख्या को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, एनएसयूआइ, जाप, छात्र जदयू व छात्र राजद भी विभिन्न संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

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