धर्म से मानव सहज बनता है और संप्रदाय से कठोर

मधेपुरा। सद्गुरु कबीर सत्य के उपासक थे न कि सम्प्रदाय के। सम्प्रदाय से सत्य अवतरित नहीं होता है। धर्

By Edited By: Publish:Wed, 25 Nov 2015 08:16 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2015 08:16 PM (IST)
धर्म से मानव सहज बनता है और संप्रदाय से कठोर

मधेपुरा। सद्गुरु कबीर सत्य के उपासक थे न कि सम्प्रदाय के। सम्प्रदाय से सत्य अवतरित नहीं होता है। धर्म और सम्प्रदाय में काफी अंतर होता है। धर्म मानव को सहज बनाता है और सम्प्रदाय मानव को कठोर। आध्यात्मिक जगत में जो विकृति आयी है वह सम्प्रदाय के कारण। भ्रातिवश व्यक्ति असत्य को सत्य मानकर व्यवहार करता हैं। उक्त बातें अररिया से आये आचार्य संत बालयोगी क्षितिजानंद साहेब ने कही। वे प्रखंड के लक्ष्मीनिया टोला बशैठा में आयोजित दो दिवसीय कबीर महासम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कबीर साहब के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कबीर साहब का जीवन-दर्शन,व्यक्तित्व और कृतित्व शिखर पर है। उनकी वाणी में शिखरता होने के बावजूद सर्वसाधारण के लिए यह बोधगम्य है। दाया भूषण साहेब ने कहा कि कार्य की सफलता में शारीरिक एवं मानसिक दोनों सबलताएं चाहिए। बुद्धिमान को तो ऐसा कर्म करना चाहिए जिसका परिणाम सुख तथा प्रसन्नता हो। निर्गुण दास जी ने कहा कि भय आन्तरिक कमजोरी का लक्षण है जो मनुष्य को दुर्बल बनाता है। मानव का वाह्य जीवन खूब सजा-धजा है लेकिन आध्यात्मिक जीवन में सदियों का पिछड़ापन बरकरार है। सही मार्गदर्शन के लिए निरभ्रात गुरू चाहिए। गुरू के बिना जीवन में भटकाव आता है।

हरिद्वार के संत भिक्षुाक विद्यासागर साहेब ने कहा कि आकाक्षा ही दुख का कारण है। आसक्ति ने मनुष्य के भीतर मोह पैदा किया हैं। मोह होने से व्यक्ति की विवेक बुद्धि सब नष्ट हो जाती है। बुद्धि में भ्रम उत्पन्न हो जाता है। सत्य अनुशरण करने के लिए सभी राग से उपर उठना होगा। मोह ही समस्त बंधन का कारण है। सुख और शान्ति तो रोग के त्याग में है। समारोह को प्रमोद दास, शभू दास नागेश्वर दास, सुरेश दास, तनुकलाल दास आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर साध्वी मीरा दासिन ने कई भक्ति गीतों को प्रस्तुत कर आमलोंगो को ईश्वर की भक्ति करने के लिए प्रेरित किया। अध्यक्षता संत श्री विज्ञान स्वरुप साहेब एवं संचालन यदुनंदन ने किया।

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