रिश्ते हुए तार-तार, लूट रहा घर-द्वार

विनय कुमार अजय/मधेपुरा : सोनी की अभी-अभी शादी हुई थी। कुछ दिन तक सब कुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन धीरे-धीरे

By Edited By: Publish:Mon, 24 Nov 2014 07:52 PM (IST) Updated:Mon, 24 Nov 2014 07:52 PM (IST)
रिश्ते हुए तार-तार, लूट रहा घर-द्वार

विनय कुमार अजय/मधेपुरा : सोनी की अभी-अभी शादी हुई थी। कुछ दिन तक सब कुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन धीरे-धीरे पति-पत्‍‌नी के बीच उपजे शक ने रिश्ते को टूटने के कगार पर पहुंचा दिया है। ऐसे उदाहरणों से पुलिस व महिलाओं के लिए काम करने वाले संस्थाओं की फाइलें भरी पड़ी है। जहां बदलते परिवेश में रिश्ते की अहमियत समाप्त होते जा रहे हैं। चाहे मां-बेटे का रिश्ता हो या फिर पति-पत्नी, भाई-बहन आदि जैसे पावन रिश्ते की परिभाषा बदल रहे हैं। हल्की नोक-झोंक से शुरु हुई पति-पत्‍‌नी के पावन रिश्ते भी तलाक तक पहुंच रहे हैं। अब संयुक्त परिवार की बात पुरानी सी हो गई है। आज माता-पिता को तड़पते छोड़ बेटे कर रहे मौज कर रहे हैं। रिश्ते में आई इस दरार से सारे अरमान टूटते जा रहे हैं। भाई बहन के पवित्र रिश्तों भी पश्चिमी सभ्यता की आंच में झुलस रहे हैं।

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केस स्टडी वन

ग्वालपाड़ा के सुरेन्द्र प्रसाद के दो बेटे बड़े अधिकारी हैं। जो बड़े शहरों में बस गए हैं। यहां माता-पिता को पानी पीने के लिए दूसरों की तरफ हाथ फैलाने की नौबत है। कभी-कभार बेटे अगर गांव आ भी जाते हैं तो माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की बजाय दुत्कारने से नहीं चुकते हैं।

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केस स्टडी -2

शंकरपुर की सपना की शादी हुए अभी एक वर्ष भी नहीं हुए हैं। लेकिन उनके बीच तलाक की नौबत आ गई है। कारण पत्नी पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित है और पति उनकी सारी अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। सो पत्नी अब अलग होना चाहती है। आपसी कड़वाहट से शुरु हुई कहानी अब रिश्तों में दरार पैदा कर दी है।

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केस स्टडी - 3

शंकरपुर की ही एक महिला के पति दूसरे के साथ संबंध बना रखे थे। बात खुली तो पत्नी की सहमति से पति अपनी प्रेमिका से शादी कर ली। पति की खुशी के लिए पहली पत्नी ने भी साथ दिया। अब दोनों पत्नी एक साथ रह रही है।

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कोट

इसके लिए काफी हद तक सामाजिक परिवेश में आई विकृति व लोगों की सोच जिम्मेदार है। विश्वास की कमी भी इसकी बड़ी वजह है। पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध व पति-पत्नी के बीच आपसी समझ की कमी रिश्ते टूटने के मुख्य कारण बनते हैं। आए दिन इस तरह के मामले अदालत में आते रहते हैं। कुछ में समझौते होते हैं तो कई मामले में नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। : सीमा कुमारी, अधिवक्ता, मधेपुरा।

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बदलते परिवेश में पश्चिमी सभ्यता के अनुकरण की बढ़ती प्रवृति के कारण आजकल रिश्ते की अहमियत घटती जा रही है। टीवी, मोबाइल, इंटरनेट आदि आधुनिक उपकरण से भी अच्छी बातों तो नहीं सीखते हैं लेकिन बुराईयों के प्रति तुरंत आकर्षित हो जाते हैं। साथ ही संयुक्त परिवार के प्रचलन में आई भारी कमी भी रिश्ते में पड़ रहे दरार के लिए मुख्य रुप से जिम्मेदार हैं। : डा. दयाराम यादव, पूर्व विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र, बीएन मंडल विवि, मधेपुरा।

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ऐसे मामले आए दिन सुनवाई के लिए महिला हेल्प लाइन में आते रहते हैं। जिसमें हल्की नोक-झोंक से शुरु हुई कहानी रिश्ते टूटने तक पहुंच जाते हैं। इसके लिए आपसी समझ में आई कमी है। इसके लिए शक को दूर कर रिश्ते को अहमियत समझने की जरुरत है। ऐसे अधिकांश मामले में काउंसिलिंग कर फिर से परिवार बसाने की कोशिश की जाती है। कई मामले में घर बसते हैं तो कुछ में बिगड़ते भी हैं। : प्रियंका कुमारी, परियोजना प्रबंधक, महिला हेल्प लाइन, मधेपुरा।

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