मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटते हैं

खगड़िया । मड़ैया बाजार स्थित वैष्णवी दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र पर दूर-दूर से श्रद्धालु अ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 12:22 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 12:22 AM (IST)
मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटते हैं
मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटते हैं

खगड़िया । मड़ैया बाजार स्थित वैष्णवी दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहां मां के वैष्णवी रूप की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां से श्रद्धालु आज तक खाली हाथ नहीं लौटे हैं। मां सभी की विनती सुनती हैं। सभी पर दया बरसाती हैं। मंदिर का इतिहास मंदिर मात्र 37 वर्ष पुराना है। लेकिन मां की महिमा दूर-दूर तक है।

श्रद्धालुओं ने 1985 में यहां टेंट लगाकर और मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की। जल्द ही मां की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी और यहां भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर के ऊपर गुंबज है। मंदिर की विशेषताएं = जो भी भक्त मां के समक्ष किसी तरह की मन्नत रखते हैं वह जरूर पूरी होती है।

= कहा जाता है कि नि:संतान दंपती अगर यहां मां से सच्चे दिल से दुआ मांगते हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति जरूर होती है।

= मां के वैष्णवी रूप की पूजा होती है। इसलिए प्रसाद में मिठाई और फल का चढ़ावा चढ़ता है।

= वैष्णवी दुर्गा मंदिर मड़ैया का रुख उत्तर की ओर है।

= पंडितों का मानना है कि मां की पूजा और दर्शन चाहे जिस रूप में करें, आशीर्वाद जरूरत मिलता है।

= शारदीय नवरात्र में प्रतिमा स्थापित कर मां की पूजा-अर्चना की जाती है।

= मंदिर की व्यवस्था की देखरेख को लेकर कमेटी गठित है।

= मंदिर महेशखूंट-अगुवानी पथ के किनारे अवस्थित है। कोट यहां 37 वर्षों से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार मंदिर प्रांगण में कोरोना जांच की व्यवस्था रहेगी। श्रद्धालुओं का थर्मल स्क्रीनिग किया जाएगा। मंटू शर्मा उर्फ अरविद शर्मा, मेला मालिक

यहां मां के वैष्णवी रूप की पूजा होती है। 18 वर्षों से इस मंदिर का पुजारी हूं। आज तक मां के दरबार से एक भी श्रद्धालु को खाली हाथ लौटते नहीं देखा हूं। पंडित नीलम झा

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