मशरूम की खेती से मक्का की बिक्री तक कर रही आधी आबादी

खगड़िया। कुछेक वर्ष पहले तक महिलाएं खेती और व्यवसाय से पूर्णत: विमुख थीं। परंतु, जीविका से जुड़कर आज म

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jun 2018 09:33 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jun 2018 09:33 PM (IST)
मशरूम की खेती से मक्का की बिक्री तक कर रही आधी आबादी
मशरूम की खेती से मक्का की बिक्री तक कर रही आधी आबादी

खगड़िया। कुछेक वर्ष पहले तक महिलाएं खेती और व्यवसाय से पूर्णत: विमुख थीं। परंतु, जीविका से जुड़कर आज महिलाएं नारी सशक्तीकरण की मिसाल बन रही हैं। जिले की महिलाएं मशरूम उगाकर आर्थिक रूप से सबल हो रही है। इतना ही नहीं जिस मक्का व्यवसाय पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है, उसमें भी वे आगे बढ़कर काम कर रही हैं। वे किसानों से मक्का खरीदती है और फिर अधिक दामों पर मक्का कंपनियों को बेचती है। जिले की गोगरी में जीविका के सहयोग से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। विभिन्न स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये महिलाएं दूध व्यवसाय, मुर्गी पालन, बकरी पालन से लेकर मशरूम की खेती तक कर रही है। इतना ही नहीं अब महिलाएं मक्के का व्यवसाय भी कर रही है। महिलाएं मक्का क्रय केंद्र

खोल किसानों से मक्का खरीद विभिन्न कंपनियों को बेच मुनाफा कमा रही है। गोगरी में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने महज एक माह में 1171 मीट्रिक टन मक्का किसानों से खरीदी है। कर्ज लेना अब बीते कल की हुई बात

वासुदेवपुर, पितौंझिया, मुश्कीपुर, मलिया, गौछारी आदि गांव की महिलाएं अब सेठ- साहुकार से कर्ज लेना भूल गई है। आज इन गांवों की समूह से जुड़ी महिलाएं

बैंक के सहयोग से स्वरोजगार कर रही है। गोगरी क्षेत्र मक्का उत्पादन को लेकर विख्यात है। ऐसे में, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं किसानों से

मक्का की खरीदारी करती है। वे मक्का का मार्के¨टग

टेक्नोसर्वे की मदद से करती है। इससे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं समेत किसानों को भी फायदा हो रहा है। वहीं डेयरी क्षेत्र से भी कई महिलाएं जुड़ी हुई है। लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह की सुनीता देवी व रुपम देवी ने कहा कि, हाल के वर्ष तक मक्का व्यवसाय पर पुरुषों का वर्चस्व था। परंतु, अब महिलाएं किसानों से मक्का खरीद उसे बाजार में बेच रही है और दो पैसे आराम से कमा रही है। अब उधार-पेंचा कल की बात है। कोट

' गोगरी के 2000 समूह को प्रथम फेज में एक लाख की दर से, 1320 समूह को दूसरे फेज में डेढ़ लाख तथा 12 समूह को तीसरे फेज में दो से ढाई लाख की दर से राशि बैंक के माध्यम से मुहैया कराई गई है। जिनसे समूह संचालन करते हुए महिलाएं विभिन्न प्रकार का स्वरोजगार अपना आत्मनिर्भर हो रही है। अब तो मक्का खरीद-बिक्री की नई योजना आरंभ की गई है। मात्र एक माह में 1171 मीट्रिक टन मक्का की खरीदारी गोगरी के चार केंद्रों से की गई है।'

= मुरारी झा, परियोजना प्रबंधक, गोगरी।

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