यहां शादी से पहले गाड़ी नहीं, करानी पड़ती है नाव की बुकिंग, ये है वजह

बिहार का एक इलाका ऐसा भी है, जहां शादी के लिए गाड़ी नहीं नाव की बुकिंग होती है। कई बार नाव नहीं मिलने पर शादी की तिथि आगे भी बढ़ जाती है।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Sun, 29 Apr 2018 06:09 PM (IST) Updated:Mon, 30 Apr 2018 08:30 PM (IST)
यहां शादी से पहले गाड़ी नहीं, करानी पड़ती है नाव की बुकिंग, ये है वजह
यहां शादी से पहले गाड़ी नहीं, करानी पड़ती है नाव की बुकिंग, ये है वजह

कटिहार [मनीष सिंह]। बिहार के कटिहार जिले का गंगा व महानंदा से घिरा इलाका है अमदाबाद प्रखंड। यहां के लोग साल के पांच-छह महीने आवागमन के लिए नाव पर ही निर्भर रहते हैं। यदि किसी की शादी तय होती है तो वाहन बुक कराने के बदले लोग नावें ही बुक कराते हैं। कई बार नाव नहीं मिलने पर शादी की तिथि आगे भी बढ़ जाती है।

इस इलाके की अधिकांश सड़कें जर्जर हैं। बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों की मरम्मत नहीं होने के कारण नाव के सहारे ही लोग आवागमन करते हैं। इस प्रखंड के लगभग सभी घरों में नाव उपलब्ध है। बारिश का मौसम शुरू होने के पहले ही लोग नावों की मरम्मत शुरू कर देते हैं।

प्रखंड के मेघुटोला, घेरागांव, हरदेव टोला, तीलौकी डारा व गोलाघाट सहित अन्य गांवों में बारिश शुरू होते ही आवागमन बाधित हो जाता है। मुख्य रूप से जून से लेकर नवंबर माह तक होने वाली शादियों के लिए सबसे जरूरी शर्त नाव की बुकिंग होती है। 

आवागमन की दुरूह समस्या वाले गांवों में नाव के सहारे ही बारात पहुंचती है और नाव पर ही लड़की की विदाई भी होती है। गंगा व महानंदा से घिरे अमदाबाद प्रखंड में हर वर्ष बाढ़ के दौरान व्यापक क्षति होती है। प्रखंड की 14 पंचायतों में बाढ़ व बारिश के दौरान स्थिति विकट हो जाती है।

प्रखंड की दक्षिणी अमदाबाद, उत्तरी अमदाबाद, पूर्वी करीमुल्लापुर, दक्षिणी करीमुल्लापुर, चौकिया पहाड़पुर, पारदियारा, भवानीपुर खट्टी, उत्तरी करीमुल्लापुर, किशनपुर और लखनपुर सहित 14 पंचायतों के लोग हर वर्ष परेशानी झेलते हैं। इन गांवों के लोग दैनिक कार्य के लिए भी पांच माह तक टिन एवं लकड़ी की छोटी नौका के सहारे आवागमन करते हैं।

प्रखंड के झब्बू टोला, मेघुटोला, घेरा गांव, गणेश टोला, बालमुकुंद टोला, रतन टोला, भगवान टोला, दीनाराम टोला की समस्या सबसे गंभीर है। ग्रामीण अनिल सिंह, सुकदेव सिंह, धनंजय मंडल, भोला कर्मकार, प्रमोद चौधरी आदि ने बताया कि कई बार शादियों के समय नाव नहीं मिलने से विवाह की तारीख बढ़ जाती है। गांव में मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है।

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