पहले मारते थे नौकरी को ठोकर, अब खाते ठोकर
संवाद सहयोगी जमुई आजादी के बाद भी लोगों के रोजगार का मुख्य साधन कृषि था। कृषि के बल पर ही लोग अपनी सारी जरूरतें पूरा करते थे। नगर क्षेत्र के कृष्णपट्टी निवासी चंद्रदेव सिंह ने बताया कि अब नौकरी पेशा और व्यवसाय जीवन यापन का मुख्य साधन हो गया है।
कहानी विकास की
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फोटो-11 जमुई- 9
संवाद सहयोगी, जमुई: आजादी के बाद भी लोगों के रोजगार का मुख्य साधन कृषि था। कृषि के बल पर ही लोग अपनी सारी जरूरतें पूरा करते थे। नगर क्षेत्र के कृष्णपट्टी निवासी चंद्रदेव सिंह ने बताया कि अब नौकरी पेशा और व्यवसाय जीवन यापन का मुख्य साधन हो गया है।
उस वक्त और आज के दौर में बहुत बड़ा अंतर है। पहले बहुत कम लोग ही नौकरी और व्यवसाय करते थे। खेती को ही प्रमुखता देते थे। नौकरी का आफर मिलता था, लेकिन लोग नौकरी को नौकर होने की संज्ञा देते हुए शान के खिलाफ मानते थे। परिवार के लोग एक साथ मेहनत कर पूरे वर्ष में अलग-अलग मौसम में अलग-अलग प्रकार की फसल की पैदावार करते थे। अधिक जमीन वाले को सम्मान के साथ देखते थे। रोजगार के प्रति लोगों का तनिक भी ध्यान नहीं था। धीरे-धीरे परिस्थितियों में बदलाव आया और आबादी बढ़ने के साथ ही आवश्यकताएं भी बढ़ती गई। खेती महंगी होती गई और आमदनी घटती गई। भौतिक सुविधा विस्तार के साथ तकनीक आधुनिक होती गई और शारीरिक गतिविधि कमतर होती गई। अब पसीना खेतों में नहीं, कसरत कर निकाली जाती है। इंटरनेट के युग में अंगुली पर दुनिया आ गई। सुविधा विस्तार का फायदा मिला, लेकिन वर्तमान समय के बहुत सारे युवाओं को यह भी नहीं पता है कि किस मौसम में कौन सी फसल तैयार होती है और उसके लगाने का समय कौन सा है। अब समझ नहीं आता कि इसे विकास कहें या फिर कुछ और। खुद की खुशी और खुशी देने की खुशी के अंतर को समझना समाज के लिए जरूरी है।