शहरवासी सफाई को लेकर हुए सजग

जमुई। झाझा नगर पंचायत के बीस वार्डों में सफाई कर्मी की सीटी बजते ही महिला कचरा लेकर दरवाजे पर खड़ी हो जाती हैं। चाहे वह सूखा कचरा हो या गीला कचरा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 07:13 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 07:13 PM (IST)
शहरवासी सफाई को लेकर हुए सजग
शहरवासी सफाई को लेकर हुए सजग

जमुई। झाझा नगर पंचायत के बीस वार्डों में सफाई कर्मी की सीटी बजते ही महिला कचरा लेकर दरवाजे पर खड़ी हो जाती हैं। चाहे वह सूखा कचरा हो या गीला कचरा। जबसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता का नारा दिया है तब से शहरवासी सफाई के प्रति अधिक सजग हो गए हैं। पहले सड़क पर कहीं भी कचरा का ढेर देखने को मिलता था। सुबह टहलने निकले लोग नाक बंद कर सड़क पर चलते थे। सफाई होने से शहरवासी को टहलने में परेशानी नहीं होती है। इसमें नगर पंचायत की भूमिका अहम है।

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बन गया स्वच्छता का माहौल

पहले कचरा उठाने के लिए शहरवासी को आवेदन देना पड़ता था। अब नगर पंचायत में आवेदन नहीं आ रहे हैं। सुबह के पांच बजते ही सफाई कर्मी की सीटी मुहल्ले एवं गली में गूंजना शुरू हो जाता है। हर घर दस्तक देते हुए ठेला पर गीला एवं सूखा कचरा लेते हुए आगे निकल जाते हैं। प्रत्येक घर के सदस्यों में कचरा एक जगह करने की आदत बन गई है। साथ ही सफाई कर्मी की सीटी के प्रति लोग सजग दिख रहे हैं। बताया जाता है कि नगर पंचायत के 22 वार्ड में से 20 वार्ड में सफाई कर्मी ठेला लेकर घूमते हैं, जबकि दो वार्ड 7 एवं 8 रेलवे के अंतर्गत पड़ने के कारण नगर पंचायत द्वारा वहां सफाई नहीं की जाती है। चार वाहनों से मुख्य सड़क के अलावा नगर के वार्डों में लगे 300 कूड़ेदान से कचरा उठाए जाते हैं। सुबह 40 महिला एवं पुरुष सफाई कर्मी सड़क पर झाडू लगाते हैं। ऐसे नगर पंचायत में प्रत्येक दिन 120 सफाई कर्मी कार्य कर रहे हैं। पहले दो से तीन टन शहर से कचरा उठता था। जबसे स्वच्छता का नारा दिया है तब से शहर में एक टन भी कचरा नहीं उठ पा रहा है। अधिसंख्य घरों के लोग कचरा को या तो डस्टबीन में डाल रहे हैं या फिर सफाई कर्मी को दे रहे हैं।

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कम दिख रहे कूड़े के ढेर

शहर के मुख्य बाजार सहित अन्य कई चौराहे पर पहले की तुलना में कूड़े का ढेर अब कम दिखने लगा है। नगर पंचायत द्वारा जब से कूड़ादान लगाया गया है तब से शहर में कचरे का ढेर कम दिखने लगे है। सप्ताह के रविवार को सफाई कर्मी की छुट्टी रहने के कारण कचरे का उठाव नहीं हो पाता है, लेकिन पहले जैसे हालात उत्पन्न नहीं होते हैं। वहीं नित्यदिन कचरे का उठाव होने से कचरा एक जगह ज्यादा देर तक नहीं रह पाता। नगर पंचायत ने मुख्य बाजार के दुकानदारों को कचरे को सड़क या अन्य जगह नहीं फेंकने के लिए जागरूक किया गया था। जिसका लाभ नगर पंचायत को मिल रहा है। विभिन्न व्यावसायिक संगठन भी इसके प्रति सजग दिख रहे हैं। हालांकि, कचरे के विनिष्टीकरण के लिए अभी तक नगर पंचायत के पास जगह नहीं है। फिर भी नगर पंचायत कचरे का विनिष्टीकरण कर रही है।

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क्या कहते हैं नगर उपाध्यक्ष

नगर पंचायत उपाध्यक्ष संजय यादव ने कहा कि नगर पंचायत सफाई को सजग है। शहर की सफाई व्यवस्था दिन व दिन अच्छी होती जा रही है। जल्द ही नगर पंचायत स्वच्छता को लेकर और भी कई कदम उठाने जा रही है। नगर को स्वच्छ रखना हर शहर वासियों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि कचरा के प्रति लोगों में काफी जागरुकता आई है। शहरवासी कचरा को डस्टबीन में डाल रहे हैं।

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कचरा विशेषज्ञ के रूप में बोले

कचरा विशेषज्ञ के रूप में बोले

रामाशीष शरण तिवारी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, झाझा

पर्यावरण में कचरा बाधक बन रही है। कचरा का निष्पादन होना जरूरी है। कचरा के प्रति हर व्यक्ति को सजग होने की जरूरत है। पर्यावरण में संतुलन बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता का नारा हर व्यक्ति को अपनाना होगा तभी स्वच्छ समाज का निर्माण हो पाएगा। प्रत्येक दिन घर से कचरा निकलता है। जिसको एक जगह निष्पादित करने से घर एवं मुहल्ला स्वच्छ रहता है। कचरा निष्पादन में सबसे घातक पॉलीथिन बन रही है। पॉलीथिन जीवन और पर्यावरण के लिए घातक है। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। लोग पॉलीथिन में कचरा रखकर फेंक देते हैं। जिससे कई पर्यावरणीय कठिनाइयां आ रही हैं, जैसे मिट्टी की उर्वरकता में कमी आ रही है, उसके सेवन से गोवंशीय पशुओं की अकाल मौत हो रही है। नाले में पानी निकासी में बाधक है। अगर हम कपड़े के थैले का उपयोग करें तो 60 प्रतिशत प्लास्टिक को कम किया जा सकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए पौधारोपण का कार्य किया जाए। कचरे को हम कई श्रेणी में लोग बांट सकते हैं। जैसे घरेलू कचरा, व्यावसायिक कचरा, कार्यालय से निकलने वाला कचरा का प्रबंधन किया जा सकता है। घर से निकलने वाले कचरे को हम तीन भागों में बांट सकते हैं, गीले कचरे में सब्जी, फल के छिलके और बचा हुआ भोजन है। सूखे कचरे में प्लास्टिक, कागज और कपड़ा। घरेलू हानिकारक कचरे में नैपकिन, टूटा कांच, ब्लेड और डाइपर आदि शामिल कर सकते हैं। घरेलू कचरे का प्रबंधन खाद बनाकर किया जा सकता है जो अधिकतर गांव में देखने को मिलता है। सूखे कचरे को हम सुरक्षित रखें और उसे कबाड़ी को बेचकर पैसा कमाएं जो फिर से उपयोगी हो जाएगा। भवनों व ऐसी संरचनाओं जिनके निर्माण में ईंट, सीमेंट और बालू का उपयोग होता है उसे तोड़े जाने के बाद निकले मलबे के प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है। उसे रिसाइकल कर उपयोग में ला सकते हैं।

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