पुरातात्विक अन्वेषण को लेकर मंजोष गांव पहुंची बिहार संग्रहालय की टीम

बिहार संग्रहालय पटना की टीम द्वारा जमुई जिले में पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Aug 2022 07:55 PM (IST) Updated:Thu, 25 Aug 2022 07:55 PM (IST)
पुरातात्विक अन्वेषण को लेकर मंजोष गांव पहुंची बिहार संग्रहालय की टीम
पुरातात्विक अन्वेषण को लेकर मंजोष गांव पहुंची बिहार संग्रहालय की टीम

पुरातात्विक अन्वेषण को लेकर मंजोष गांव पहुंची बिहार संग्रहालय की टीम

- बौद्ध काल से जुड़ा है मंजोष गांव का इतिहास

फोटो- 34,35

संवाद सूत्र,सिकन्दरा(जमुई): बिहार संग्रहालय पटना की टीम द्वारा जमुई जिले में पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को बिहार संग्रहालय के पुरातत्व अधिकारी डा. रविशंकर गुप्ता के नेतृत्व में बिहार संग्रहालय की टीम प्रखंड क्षेत्र के मंजोष गांव पहुंची। इस दौरान टीम ने मंजोष गांव में बिखरी देवी देवताओं की मूर्तियों व अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने मंजोष गांव स्थित लौह अयस्क की पहाड़ी, लौह अयस्क के अवशेष के टीले व महामाया नागेश्वर स्थान के समीप मंदिर में स्थापित व बिखरी मूर्तियों का जायजा लिया। बिहार संग्रहालय के अधिकारी डा.रविशंकर गुप्ता ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान भगवान विष्णु, महिषासुर मर्दिनी, देवी सरस्वती, कुबेर समेत अनेक देवी देवताओं के साथ ही भूमि स्पर्श मुद्रा में विराजमान भगवान बुद्ध की प्रतिमा को चिन्हित किया गया। निरीक्षण के दौरान प्रतिमाओं पर अंकित लिपि के अध्ययन का भी प्रयास किया गया। खंडित प्रतिमाओं में बोधिसत्व मंजुश्री की भी प्रतिमा होने का अनुमान जताया गया है। बोधिसत्व मंजुश्री का ही एक नाम मंजूघोष भी है। जिनके नाम पर मंजोष व घोष गांव का नाम रखा गया है। जिसके कारण इस क्षेत्र के महात्मा बुद्ध से जुड़े होने की प्रबल संभावना व्यक्त की जाती है। इस दौरान पकना टीला के समीप प्राचीन काल में लौह अयस्क से लोहा निकालने के संकेत मिले हैं। यह टीला मंजोष स्थित लौह अयस्क की पहाड़ी से तकरीबन आधे किलोमीटर की दूरी पर है। उल्लेखनीय है कि मंजोष गांव में बड़ी मात्रा में लौह अयस्क का भंडार होने की संभावना भूतत्व विभाग के द्वारा भी जताई जा रही है। पुरातत्व विभाग की टीम को पकना टीला के समीप से लौह अयस्क से निर्मित लोहे का टुकड़ा भी प्राप्त हुआ है जिसे एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना माना जा रहा है। पकना टीला व आसपास के क्षेत्रों में लगभग हजार वर्ष पूर्व के ईंट व मिट्टी के बर्तन के टुकड़े भी प्राप्त हुए हैं। इस दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ मूर्तियां मंदिरों में रखकर सहेजी गई है।जबकि दर्जनों की संख्या में खंडित प्रतिमाएं मंदिर के बाहर पड़ी हैं। कुछ महत्वपूर्ण प्रतिमाओं की चोरी भी हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर के आसपास आज भी खुदाई के दौरान प्रतिमा मिल जाती है। वहीं पकना टीला के समीप जमीन के नीचे प्राचीन घरों के कई स्ट्रक्चर अभी भी मौजूद हैं। मंजोष गांव के उपरांत बिहार संग्रहालय की टीम ने रामपुर घोष गांव का भी सर्वे किया। जहां बिखरे पड़े प्राचीन प्रतिमाओं का निरीक्षण अधिकारियों के द्वारा किया गया। इसके पूर्व प्रखंड के कुमार व लोहंडा गांव में भी बिहार संग्रहालय के अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण का कार्य किया जा चुका है।

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