तालाबों के अस्तित्व पर खतरा फिर कैसे मिलेगा धरा से पानी

जहानाबाद। कभी साहित्यकारों के कहानियों और उपन्यासों में गांव के परिवेश का चित्रण तालाब से ही किया जा

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Jun 2018 08:49 PM (IST) Updated:Sun, 10 Jun 2018 08:49 PM (IST)
तालाबों के अस्तित्व पर खतरा फिर कैसे मिलेगा धरा से पानी
तालाबों के अस्तित्व पर खतरा फिर कैसे मिलेगा धरा से पानी

जहानाबाद। कभी साहित्यकारों के कहानियों और उपन्यासों में गांव के परिवेश का चित्रण तालाब से ही किया जाता था। गांव की संस्कृति में यह इस तरह रचा वसा था कि गांव की छवि जेहन में आते ही तालाब का प्रति¨बब नजर पड़ता था। लेकिन अब न तो तालाब रहा और नहीं पोखर। जलस्त्रोतों के प्रति बढ़ती जा रही उदासीनता इसके खात्मे का कारण बनता जा रहा है। प्राचीन समय के कई तालाबों पर अब आलीशान बंगला बन चुका है। मानव की बढ़ती आबादी की जद में परंपरागत जलस्त्रोत अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है। प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों में बड़े-बड़े तालाब हुआ करते थे। बुजूर्ग बताते हैं कि उनके जमाने में कई तालाब तथा पोखर था उनमे से अब कुछ ही बचे हैं। जो भी जलस्त्रोत बचे हैं उसके अस्तित्व पर भी खतरे की घंटी बज रही है। अतिक्रमण के कारण तालाबों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। जलस्त्रोतों का भूभाग अतिक्रमण का शिकार होता जा रहा है। स्थानीय बाजार के दक्षिण भाग में एक एकड़ नौ डिसमील में फैला तालाब अब काफी सिकुड़ गया है। संरक्षण के अभाव में आधे से अधिक भूभाग अतिक्रमण की चपेट में है। इस प्राचीन तालाब के संरक्षण तथा जीर्णोद्धार में न तो स्थानीय प्रशासन के लोग रुची ले रहे हैं और नहीं प्रकृति के प्रति ¨चता करने वाले सामाजिक संस्थान के लोग ही। हालांकि पिछले वर्ष इस तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराने के उद्?देश्य से स्थानीय प्रशासन द्वारा आदेश जारी किया गया था। लेकिन इस आदेश का अमल नहीं हो सका। आज भी अतिक्रमणकारी डटे हुए हैं। किसी तरह अन्य पुराने जलस्त्रोत भी अपने अस्तित्व के लिए जूझता नजर आ रहा है। हालांकि तालाबों तथा अन्य जलस्त्रोतों के इस हालात पर लोग ¨चता जाहिर जरूर करते हैं लेकिन इस पर अमल कहीं से नहीं हो रहा है। सुनें स्थानीय लोगों की

परंपरागत जलस्त्रोतों का अस्तित्व दिन प्रतिदिन समाप्त होता जा रहा है। जिसके कारण भू जलस्तर काफी नीचे जा रहा है। प्रशासन के लोगों को इस दिशा में सख्ती से पेश आने की जरूरत है।

शंकर प्रसाद

फोटो-44

स्थानीय बाजार में एक एकड़ नौ डिसमील में विशाल तालाब था। जिसपर लोगों का अतिक्रमण जारी है। कुड़े कचड़े भी यहां फेंके जा रहे हैं। इसे संरक्षित रखना हर किसी की जिम्मेदारी है लेकिन लोग इसका निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

शशि शर्मा

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प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना लोगों के लिए काफी महंगा पड़ रहा है। भू जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इस इलाके के अधिकांश जलस्त्रोत नष्ट हो चुके हैं। प्रशासन के साथ-साथ आम आवाम को इसके संरक्षण के लिए सजग होने की जरूरत है।

कृष्णा प्रसाद लोहानी

फोटो-46

अतिक्रमण कर रहे लोगों पर नियमित कार्रवाई नहीं होने के कारण जलस्त्रोतों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। उनलोगों पर सख्ती से पेश आने की जरूरत है।

अर¨वद पांडेय

फोटो-47 सुनें अंचलाधिकारी की किसी भी जलस्त्रोत पर अतिक्रमण की सख्त पाबंदी है। ऐसा करने वाले लोगों के विरोध में नोटिस जारी किया गया है। जल्द ही कार्रवाई करते हुए जलस्त्रोतों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।

शुभेंद्र कुमार झा

फोटो-43

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