ग्राम पंचायत का वह पाठ याद है आज भी

मैं गोपालगंज जिला के साखे खास गांव के रहने वाला हूं। मैंने 1960 में मैट्रिक,1962 में इंटर,1964 में स्नातक, 1966 में एमए राजनीति शास्त्र से तथा 1972 में बीएड किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 09:02 PM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 09:02 PM (IST)
ग्राम पंचायत का वह पाठ याद है आज भी
ग्राम पंचायत का वह पाठ याद है आज भी

थावे(गोपालगंज) : मैं गोपालगंज जिला के साखे खास गांव के रहने वाला हूं। मैंने 1960 में मैट्रिक,1962 में इंटर,1964 में स्नातक, 1966 में एमए राजनीति शास्त्र से तथा 1972 में बीएड किया। एमए करने के बाद साल 1967 में मेरी मुखीराम उच्च विद्यालय थावे में समाज शास्त्र शिक्षक के पद पर बहाली हुई। जब मैं प्रथम दिन विद्यालय में आया तो हेडमास्टर विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता ने वर्ग 10 वीं के बी सेक्शन में समाज शास्त्र पढ़ाने के लिए भेजा। साथ ही तीन शिक्षक वर्ग में इंटरव्यू लेने के लिए हेडमास्टर के साथ बैठे। सबसे पहला पाठ ग्राम पंचायत के कार्य पढ़ाने को मिला। उस समय मैंने छात्रों को बताया कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य ,मनुष्यों के बीच में ही रहकर मनुष्य बन सकता है। इसके बाद हमने ग्राम पंचायत के कार्यो के बारे में जानकारी दी। पहली कक्षा लेने से लेकर साल 2003 में सेवानिवृत होने तक मैंने इसी विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत रहा। सेवानिवृत्त होने के बाद भी आज भी कई बच्चे मेरे पास पढ़ने आते हैं। मैं इन बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेता हूं। शिक्षक के रूप में लंबे समय तक कार्य करने के बाद भी आज भी मुझे अपनी पहली कक्षा याद है। अपनी पहली कक्षा को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।

जगदीश नारायण प्रसाद, सेवानिवृत्त शिक्षक

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