गया में श्री त्रिलोक महामंडल विधान पूजा का समापन कल, शहर में जैन धर्मावलंबी निकालेंगे शोभा यात्रा

शहर के जैन मंदिर में पहली बार विधान पूजा का आयोजन किया जा रहा है। सात दिवसीय इस पूजा का समापन 24 जनवरी को हाे जाएगा। समापन के बाद शहर में भव्‍य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसकी तैयारी की जा रही है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:17 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:17 AM (IST)
गया में श्री त्रिलोक महामंडल विधान पूजा का समापन कल, शहर में जैन धर्मावलंबी निकालेंगे शोभा यात्रा
गया शहर में स्थित जैन मंदिर। जागरण आर्काइव

जागरण संवाददाता, गया। शहर में पहली बार श्री त्रिलोक महामंडल विधान पूजा का आयोजन जैन समाज की ओर से किया जा रहा है। यह 17 जनवरी को शुरू हुई थी। पूजा का समापन 24 जनवरी को होा। सात दिनों तक चलने वाली पूजा से माहौल भ्‍‍ाक्तिमय हो गया है। समापन कार्यक्रम के लिए जैन मंदिर में तैयारी चल रही है। समापन के अवसर पर जैन मंदिर में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।

जैन मुनि के प्रवचन के बाद होगा हवन

पूजा का आयोजन जैन मुनि आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज की देखरेख में किया जा रहा है। सुबह से लेकर शाम तक प्रवचन के साथ कई कार्यक्रम जैन मंदिर एवं जैन भवन में चल रहा है। जहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। पूजा के आयोजन से लोगों की दिनचर्या भी बदल गई है। उनका ज्‍यादा समय पूजा-आध्‍यात्‍म में बीत रहा है। जैन समाज के मीडिया प्रभारी मुन्ना सरकार जैन ने बताया कि 24 जनवरी को सुबह में जैन मुनि का प्रवचन होगा। उसके बाद हवन होगा। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु हवन में भाग लेंगे।

दोपहर में निकलेगी भव्‍य शोभायात्रा

हवन के समापन के बाद दोपहर में शहर में शोभा यात्रा निकलेगी। शोभायात्रा में काफी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु पीला परिधान पहनकर भाग लेंगे। शोभायात्रा में बैंड बाजा के अलावा रथ भी रहेगा। यह शोभायात्रा जैन मंदिर से निकलकर टावर चौक, रमना रोड, केपी रोड, जीबी रोड, बजाजा रोड होते हुए कई स्थानों से गुजरेगी। उक्त कार्यक्रम को लेकर सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। समापन कार्यक्रम को लेकर दूर-दूर से जैन धर्मावलंबी पहुंचने लगे हैं। शहर के अलावा दिल्ली, कोलकाता, रांची, पटना, कोडरमा, पारसनाथ समेत कई अन्‍य जिलों  के श्रद्धालु शाम तक गया शहर में पहुंच जाएंगे। उनके रहने से खाने तक का इंतजाम जैन समाज की ओर से किया गया है।

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