डोभी के श्रीराम-जानकी मंदिर में सिमटा है 500 साल का समृद्ध इतिहास

नीरज कुमार मिश्र डोभी (गया)। प्रखंड के जीटी रोड किनारे स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर पांच सौ साल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST)
डोभी के श्रीराम-जानकी मंदिर में सिमटा है 500 साल का समृद्ध इतिहास
डोभी के श्रीराम-जानकी मंदिर में सिमटा है 500 साल का समृद्ध इतिहास

नीरज कुमार मिश्र, डोभी (गया)। प्रखंड के जीटी रोड किनारे स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर पांच सौ सालों का इतिहास समेटे है। इसे ठाकुरबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। एक समय झारखंड के बरही से लेकर बिहार के औरंगाबाद तक इस तरह का भव्य ठाकुरबाड़ी नहीं था। समय के साथ भवन क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन ठाकुरबाड़ी के महंथ श्रीश्री विशंभर दास महाराज ने जीर्ण-शीर्ण भवन को जमींदोज कर नवनिर्माण कराने का संकल्प लिया है। इसके तहत हाल के दिनों में मंदिर के नवनिर्माण हेतु शिलान्यास किया गया। नया श्रीराम-जानकी मंदिर तीन तल का होगा। वर्तमान में पहले से स्थापित भगवान राम, माता सीता व लक्ष्मण की प्रतिमा को अस्थायी तौर पर मंदिर के अन्य भवन में विराजमान कराया गया है।

ठाकुरबाड़ी की स्थापना बाबा बलराम दास जी महाराज ने की थी, जिसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी बाबा रामस्नेही दास, बाबा काशीराम दास, बाबा त्रिभुवन दास (पंजाबी बाबा) रहे। पंजाबी बाबा ने देहावसान के पूर्व ही महंथ पद के लिए श्री श्री विशभर दास महाराज को नामित कर दिया गया था। ठाकुरबाड़ी को पूर्व के सेवायत रामकल्याण दास उर्फ काका जी महाराज द्वारा नया रूप देने का प्रयास किया गया। मंदिर के राज-भोग के लिए चढ़ावा पर निर्भर होना समाप्त कर दिया। मंदिर के बाहरी हिस्से में दुकान बनवाया गया। जिससे मंदिर को आय होने लगी। मंदिर में गोसेवा की शुरूआत की गयी। मंदिर से कई वर्षो तक झाकी निकाली गयी। कृष्ण लीला, भजन कीर्तन और रामकथा का प्रवचन करवाया गया। व्यवस्था को और सुदृढ़ करते हुए काका जी ने कई धर्मशालाएं बनवा डाली, जिससे शादी-विवाह के कार्यक्रम और तमाम प्रकार के बैठक होने पर तय राशि ठाकुरबाड़ी को प्राप्त होने लगा। काकाजी के देहावसान के बाद ठाकुरबाड़ी के विकास की गति पर थोड़ा ब्रेक लगा। लेकिन महंत जी द्वारा ठाकुरबाड़ी के व्यवस्था को अपने हाथों में लेकर विकास की गति देने का कार्य किया। मंदिर में तरह-तरह के वाद्य यंत्र लगाया गया। पूजा और आरती के वक्त पंडितों द्वारा किए जाने वाली स्तुति को आस-पास के लोगो के कानों तक पहुंचाने का कार्य किया। पर्व-त्योहार पर मंदिर का सजावट किया जाने लगा। मंदिर के पास वर्तमान में तीन एकड़ 70 डिसमिल जमीन है।

कोट :-

-पांच अगस्त को श्रीराम-जानकी मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग के दीपों से सजाकर दीपोत्सव मनाया जाएगा। सालों के इंतजार के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण का शिलान्यास हो रहा है। इससे साधु-संतो में काफी प्रसन्नता है।

-सरयू दास, पुजारी, श्रीराम जानकी मंदिर, डोभी, गया।

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