घर-आंगन या फिर पेड़ की छाव में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र

संवाद सहयोगी, टिकारी : दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल जानने

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Aug 2018 02:59 AM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 02:59 AM (IST)
घर-आंगन या फिर पेड़ की छाव में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र
घर-आंगन या फिर पेड़ की छाव में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र

संवाद सहयोगी, टिकारी : दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल जानने निकली तो बच्चों की नाममात्र उपस्थिति, राशि उपलब्ध कराने के बावजूद पोशाक में न होना, सफाई की कमी देखने को मिली। मुख्यमंत्री की समीक्षा यात्रा के दौरान लाव पंचायत के वार्ड संख्या 15 में संचालित केंद्र संख्या 143 लाव टाड़पर को मॉडल आगनबाड़ी केंद्र बनाया गया था। जिला प्रशासन ने सभी केंद्रों को इसी तर्ज पर केंद्र को विकसित करने का निर्देश दिया था, लेकिन केंद्र को मॉडल बनाने के लिए आज तक राशि आवंटित नहीं की गई।

प्रखंड के अधिकांश केंद्र साधन संसाधन विहीन हैं। 88 केंद्रों का अपना भवन है। 190 केंद्र किराए पर किसी ग्रामीण या सेविका, सहायिका के घर आंगन में या फिर पेड़ की छाव में चल रहे हैं। शौचालय, शुद्ध पेयजल, बैठने की उचित सुविधा का घोर अभाव है।

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कार्यरत सहायिका और

सेविकाओं की स्थिति

टिकारी में पूर्व से संचालित 210 आगनबाड़ी केंद्रों में से 206 केंद्र कार्यरत हैं। चार केंद्र सेविका के चयनमुक्त होने के कारण बंद हैं। 68 नवसृजित आगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 60 केंद्रों पर सेविका और 55 केंद्रों पर सहायिका की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना है।

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पोषाहार न मिलना

आम शिकायत

बच्चों को मेनू के अनुसार नियमित पोषाहार का न मिलना आम शिकायत है। सेविकाओं की भी विभाग और पर्यवेक्षिकाओं के प्रति कई शिकायत हैं, लेकिन खुलकर बोलने से सब कतराते हैं। प्रत्येक माह की 19 तारीख को अन्नप्राशन उत्सव, प्रत्येक बुधवार एवं शुक्रवार को आरोग्य दिवस और 15 तारीख को टीएचआर का वितरण का प्रावधान है।

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सेविकाएं निभाती हैं

अपना दायित्व

परियोजना द्वारा प्रदत्त सुविधाएं केंद्रों पर सेविका के माध्यम से बच्चों और गर्भवती व प्रसूति महिलाओं को देने का काम किया जाता है। यूं तो आगनबाड़ी केंद्रों पर लाभार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं और लाभों के संबंध में कई तरह की बातें आम चर्चा में रहती हैं, लेकिन इन्हीं में से कुछ ऐसे भी केंद्र हैं, जहां अधिकाश सुविधाएं लाभार्थी को मुहैया कराई जाती है।

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सुविधाएं नहीं

-190 केंद्रों में शौचालय नहीं

-बिजलीयुक्त केंद्रों की संख्या शून्य

-गैस चूल्हायुक्त आगनबाड़ी केंद्रों की संख्या भी शून्य

-महिला पर्यवेक्षिका के स्वीकृत पद आठ की तुलना में चार कार्यरत

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प्रखंड की स्थिति

केंद्र 278

नवसृजित 68

पूर्व आवंटित 210

संचालित 206

सेविका - 205

सहायिका - 203

अप्रशिक्षित सेविका- 60

अप्रशिक्षित सहायिका-55

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कोटिवार लाभार्थियों की संख्या

सामान्य- 3494

पिछड़ा- 4326

अतिपिछड़ा- 3658

अल्पसंख्यक- 1002

अनु जाति- 4160

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गर्भवती/प्रसूति महिला

लाभार्थियों की संख्या

सामान्य- 698

पिछड़ा- 865

अतिपिछड़ा - 732

अल्पसंख्यक- 201

अनु जाति - 832

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योजनाएं

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना

सबला योजना

मुख्यमंत्री पोशाक योजना

अन्नप्राशन योजना

परवरिश योजना

टीकाकरण एवं अन्य योजनाएं

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साप्ताहिक पोषाहार

सोमवार- खिचड़ी

मंगलवार- पुलाव

बुधवार - खिचड़ी, अंडा

गुरुवार- हलवा

शुक्रवार - रसिया, अंडा

शनिवार- खिचड़ी

इसके अलावा गुड़ चूड़ा, मौसमी फल बच्चों को उपलब्ध कराने का निर्देश है।

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आगनबाड़ी केंद्रों पर संसाधनों का घोर अभाव है। नियमित निरीक्षण, पर्यवेक्षिका की उपस्थिति में सामग्रियों का वितरण और सुधार के लिए प्रयास करने पर बदलाव आया है। गड़बड़ी पाए जाने पर कटौती और जुर्माना का प्रावधान है। सभी केंद्रों का नियमित संचालन किया जा रहा है।

-डॉ. श्वेता सिंह, सीडीपीओ

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