मंहगाई की मार से गरीबों की पतली हुई दाल

गया कहावत है कि कुछ नहीं तो दाल रोटी खाकर पेट भर लेंगे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। मंहगाई की मार से गरीबों की थाली से एक तरह से दाल गायब होते जा रहे है। कई गरीब परिवार जो कल तक खाने में गाढ़ा दाल खा रहे थे अब उसमें पानी मिलाने की मजबूरी बन गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 10:57 PM (IST) Updated:Sun, 01 Nov 2020 08:25 AM (IST)
मंहगाई की मार से गरीबों की पतली हुई दाल
मंहगाई की मार से गरीबों की पतली हुई दाल

गया : कहावत है कि कुछ नहीं तो दाल रोटी खाकर पेट भर लेंगे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। मंहगाई की मार से गरीबों की थाली से एक तरह से दाल गायब होते जा रहे है। कई गरीब परिवार जो कल तक खाने में गाढ़ा दाल खा रहे थे, अब उसमें पानी मिलाने की मजबूरी बन गई है। जो परिवार में पहले दो सौ ग्राम प्रत्येक दिन दाल बन रहा था। वह घटकर आधा हो गया है। क्योंकि एक महीने में दाल के दाम 20 से 25 फीसदी का वृद्धि हुई है। शहर के पुरानी गोदाम स्थित दाल मंडी में कई तरह के दाल है। जिससे सबसे अधिक दाम अरहर का दाल है। दाल का थोक विक्रेता राजेश कुमार का कहना है दाल का दाम हमेशा घटते-बढ़ते रहता है। लेकिन एक महीने से लगातार दाम में वृद्धि हो रही है। लोकल दाल मंडी में काफी कम मात्रा में आ रहा है। पर्याप्त मात्रा लोकल दाल मंडी में आने के बाद ही दाम कमी आने की उम्मीद है। मंडी में दाल दूसरे राज्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आ रहा है।

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काफी कम मात्रा में मंडी है अखरा दाल मंडी में दो तरह के पोलिस और अखरा दाल है। पोलिस किया हुआ दाल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आता है। जबकि अखरा दाल शहर में ही तैयार है। अखरा दाल बनाने के लिए शहर में छोड़ा बड़ा करीब 15 दाल मील है। जिससे अरहर, चना, मूंग, मसूर एवं उरद का अखरा दाल तैयार किया जाता है।

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सबसे अधिक अरहर दाल का दाम मंडी में सबसे अधिक अरहर दाल दाम है। हाते गोदाम स्थित दाल विक्रेता विक्की केशरी ने कहा कि थोक में अरहर दाल सौ रुपये, चना दाल 63 रुपये, मूंग दाल 84 से 88 रुपये, मसूर दाल 64 रुपये एवं उरद दाल 93 रुपये किलो है। जबकि अखरा दाल का दाम थोड़ा कम होता है।

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दाल की दाम और बढऩे की उम्मीद दाल की दाम में और वृद्धि होने की संभावना है। क्योंकि पिछले वर्ष जिले में दलहन फसल अच्छी नहीं हुई थी। बेमौसम बारिश होने के कारण मसूर और चना फसल का काफी नुकसान हुआ था। जिससे कारण शहर में स्थित दाल मील में काफी कम मात्रा में मसूर और चना आ रहा है। जिसके कारण दाल की दाम में वृद्धि होने का उम्मीद है।

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रंगीन दाल से रहे दूर स्वस्थ्य रहने के लिए रंगीन दाल से दूर रहे है। क्योंकि बाजार में रंगीन दाल काफी मात्रा में बिक रहा है। खाद्य संरक्षा पदाधिकारी मुकेश कश्यप ने कहा कि काफी दिनों तक दाल रखे रहने से खराब होने लगता है। ऐसे में विक्रेता दाल को रंगाई कर बाजार में बेच देते है जो बिल्कुल गलत है। जबकि मिलावट अरहर और चना दाल में ही हो सकता है। जिससे खेसारी का दाल मिलाया जा सकता है। जबकि मूंग, उरद एवं मसूर दाल में मिलावट संभव नहीं है।

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