बिना लाइसेंस के जेपीएन अस्पताल परिसर में 18 वर्षो से चल रहा महावीर ब्लड बैंक

फोटो-08 जेपीजी में -जांच में खुलासा ना कोई मापदंड और ना ही कोई रिकॉर्ड -स्टेट प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का एनओसी भी नहीं -केंद्रीय औषधि कंट्रोलर से भी बैंक चलाने की नहीं मिली थी अनुमति ----------

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Nov 2019 10:02 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 10:02 PM (IST)
बिना लाइसेंस के जेपीएन अस्पताल परिसर में 18 वर्षो से चल रहा महावीर ब्लड बैंक
बिना लाइसेंस के जेपीएन अस्पताल परिसर में 18 वर्षो से चल रहा महावीर ब्लड बैंक

नीरज कुमार, गया

विगत 18 वर्षो से जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में बिना लाइसेंस के महावीर ब्लड बैंक का संचालन हो रहा। जहां स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी खुद सिविल सर्जन बैठते हैं, वहां बिना मापदंड और लाइसेंस के बैंक का संचालन हो रहा है। अब तो यहां से ब्लड के लेन-देन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कारण केंद्रीय औषधि नियंत्रक द्वारा निर्धारित मापदंड की सुविधा नहीं है। जांच के भी संसाधन नहीं हैं। यहां सिर्फ खानापूर्ति के लिए जांच की सुविधा है, जो मापदंड के अनुरूप संचालित नहीं है।

इस बात का खुलासा शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के चार सदस्यीय टीम ने की है। टीम में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुरेंद्र चौधरी, डीआइ अशोक कुमार यादव सहित चार अधिकारी थे। टीम में रहे अधिकारी का कहना है कि 01.01.2000 के बाद महावीर ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ। लाइसेंस के नाम पर 01.01.2017 को चलान से 7500 रुपये सरकार के खाते में जमा कराए थे। उसके बाद भी उन्हें लाइसेंस नहीं मिला। समय-समय इसकी जांच कई स्तर पर हुई थी, लेकिन कभी लाइसेंस की प्रति नहीं दिखाई गई।

अधिकारी की मानें तो वर्ष 2016 में पटना के नाको की टीम ने भी निरीक्षण किया था। उस वक्त भी निरीक्षण में काफी खामियां मिली थीं। इस कारण से नाको (नेशनल एडस कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) ने महावीर ब्लड बैंक को एनओसी नहीं दिया था। जानकारी हो कि नाको और राज्य औषधि नियंत्रक की अनुशंसा पर ही केंद्रीय औषधि नियंत्रक ब्लड बैंक संचालित करने की लाइसेंस निर्गत करती है। पर ऐसा हुआ नहीं।

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टेक्नीशियन चला

रहा था ब्लड बैंक

जांच के क्रम में यह भी खुलासा हुआ कि महावीर ब्लड बैंक में कोई चिकित्सक नहीं है। नियम है कि पैथोलॉजी में एमडी किए हुए चिकित्सक की देखरेख में ब्लड बैंक का संचालन होता है, उनके सहयोग के लिए ए ग्रेड नर्स भी होते हैं। यहां ना तो डाक्टर और ना ही नर्स हैं। सिर्फ टेक्नीशियन विनोद कुमार द्वारा इसका संचालन किया जाता है, जो निर्धारित मापदंड के अनुसार गलत है।

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डीएम अध्यक्ष व सीएस सचिव

होने के बाद भी होता रहा खेल

महावीर ब्लड बैंक में एक बोर्ड लगा है। इसके अध्यक्ष डीएम होते हैं, और सिविल सर्जन सचिव होते हैं। दो बड़े अधिकारी इस कमेटी में रहने के बाद भी 18 वर्षो तक सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर के निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं किया गया। इसका प्रतिफल यह हुआ कि वर्षो से बिना लाइसेंस के महावीर ब्लड बैंक का संचालन होता रहा। वर्ष 2000 से 19 के बीच कई डीएम व सीएस आए, लेकिन इस बैंक का संज्ञान नहीं लिया गया। वर्तमान डीएम ने इस पर संज्ञान लिया। इसे तत्काल बैंक के संचालन की जिम्मेवारी रेडक्रास को सौंप कर अपनी प्रतिष्ठान बचाने का कार्य किए हैं।

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जांच में निर्धारित मापदंड

में नहीं मिली जानकारी

-बिहार राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व नाको से एनओसी नहीं।

-हेल्थ चेकअप के लिए के उपकरण नहीं।

-ग्रुप मैचिंग और क्रास मैचिंग का रिकॉर्ड नहीं।

-ब्लड बैंक में एलिजा टेस्ट की जांच नहीं।

-ब्लड का आगत और निर्गत रजिस्टर नहीं।

-ब्लड के लिए ली जाने वाली राशि का रिकॉर्ड नहीं।

-डोनर से ली जाने वाली ब्लड को रखने की सुविधा नहीं।

-बैंक में एचआइवी, एड्स और ब्लड ग्रुप की जांच की सुविधा नहीं।

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जेपीएन अस्पताल परिसर में महावीर ब्लड बैंक का लाइसेंस विगत कई वर्षो से नवीनीकरण नहीं हुआ है। इस कारण से असुविधा हो रही थी। जब तब लाइसेंस नहीं मिलता है, तब अध्यक्ष होने के नाते रेडक्रॉस को महावीर ब्लड बैंक संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी देखरेख में ब्लड बैंक का संचालन किया जाएगा।

अभिषेक सिंह, डीएम, गया

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