अन्य शहरों में केवल क्राइम कंट्रोल करती है पुलिस, गया में पर्यटक और श्रद्धालुओं की भी है जिम्मेदारी
गया के एसएसपी राजीव मिश्रा ने जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि यहां की पुलिसिंग अन्य जिले की अपेक्षा अलग है। अन्य जिलों में केवल अपराध नियंत्रण पुलिस की जिम्मेदारी होती है लेकिन गया में नक्सली तीर्थयात्री पर्यटकों की अतिरिक्त जिम्मेदारी है।
नीरज कुमार, गया। गया के पुलिस कप्तान राजीव मिश्रा का तबादला हो गया। वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआइ में जाएंगे। शांत स्वभाव, मिलनसार, समस्या समाधान के लिए तत्पर पुलिस अधिकारी के रूप मं पहचान बनाने वाले राजीव मिश्रा से जागरण प्रतिनिधि ने विशेष बात की। इसमें उन्होंने कहा कि बिहार के अन्य जिलों की तुलना में गया की पुलिसिंग अलग है। इसे जानने का अवसर मिला। बहुत कुछ सीखने का मौका भी मिला।
पर्यटक, पिंडदानी के लिए अलग-अलग पुलिसिंग
आइपीएस अधिकारी राजीव मिश्रा ने बताया कि अन्य जिले में सिर्फ अपराध से जुड़े मामले आते हैं, लेकिन गया इससे इतर है। शहरी क्षेत्र में पुलिसिंग अपराध और विधि व्यवस्था के लिए है। बोधगया में पर्यटन को लेकर अलग पुलिसिंग है। यहां विदेशी पर्यटकों के लिए यातायात व्यवस्था, भ्रमण और कई भाषाओं की जरूरत होती है। वहां की पुलिसिंग दूसरे देशों के पर्यटकों को जोडऩे वाली है। लेकिन दूसरी तरफ पितृपक्ष मेला में पिंडदान करने वाले तीर्थयात्री आते हैं। यहां आस्था की पुलिसिंग की जरूरत पड़ती है। यहां भी पिंडदानियों का विशेष ख्याल पुलिस को रखना पड़ता है।
नक्सलियों को मुख्य धारा में जोड़ने का भी काम करती है पुलिस
एसएसपी बताते है कि गया जिले के 24 में से 10 से 12 प्रखंड नक्सल प्रभावित हैं। वहां नक्सलवाद देखने को मिलता है। ऐसे नक्सल क्षेत्र के लिए अलग प्रकार की पुलिसिंग होती है। वहां पुलिस सिर्फ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करती है। जो लोग नक्सलवाद को छोड़कर लौटते हैं, उन्हें रचनात्मक कार्यो से जोडऩा पड़ता है। पुलिस की यह कार्य संस्कृति सिर्फ गया में ही देखने को मिलती है। बिहार प्रदेश के अन्य जिलों में एक साथ इस तरह के कार्य करने के लिए पुलिसिंग की जरूरत नहीं पड़ती है।
कार्यकाल में मिला भरपूर सहयोग
वे बताते है कि करीब दो साल से अधिक तक यहां कार्य करने का मौका मिला। घटनाएं हुई हैं। लेकिन प्रतिफल भी निकला है। वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों पर भी नकेल कसा गया। पूरे कार्यकाल में जनसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता, सामाजिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिला। कई मामले में पत्रकारों का भी सहयोग सराहनीय रहा है। कुछ गलतियां पुलिस से भी हुई है। उन गलतियों के लिए पुलिस पर भी कार्रवाई हुई है। वे बताते है कि कई बड़े मामले में आमजन ने भी पुलिस की मदद की है। कई ऐसी सूचना भी आमजन से मिली है। पुलिस-पब्लिक सुधारने का भी यहां अवसर मिला है।
कई बड़े और चर्चित मामले का भी हुआ उद्भेदन
जानकार बताते है कि एसएसपी राजीव मिश्रा के कार्यकाल में पूर्व के लंबित मामले में उदभेदन भी हुआ है। इसमें सबसे बड़ा मामला मानपुर के पटवाटोली में अंजना हत्याकांड, कोंच थाना क्षेत्र में सोनडीहा गांव के समीप मां-बेटी के साथ सामूहिक यौन शोषण चर्चा में रहा। इसी तरह गया शहर के गेवाल बिगहा में बच्ची के साथ यौन शोषण का। गया से लेकर दिल्ली, सड़क से लेकर संसद में यह मामला उठा। लेकिन संयम, आईपीसी की सुसंगत के धारा के तहत कार्रवाई हुई। खुद एसएसपी निगरानी करते हुए अनुसंधान के आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। न्यायालय में पुलिस पक्ष रखा। आरोपितों सलाखों के पीछे रहा। इसी तरह कोंच में दो हत्याकांड, बेलागंज में सामूहिक यौन शोषण, बैंक लूटकांड, शराब माफिया पर शिकंजा, कारोबारी का करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त हुई। ऐसे कई मामले हैं, जिसका उद्भेदन इनके कार्यकाल में हुआ है। लेकिन एक बड़ा मामला का खुलासा नहीं हो पाया। यह घटना रामपुर थाना पुलिस लाइन मोड़ पर अनुराग पोद्दार के घर डकैती हुई थी। गिरोह ङ्क्षचहित हुआ। लेकिन सभी आरोपित पकड़ में नहीं आया। मामला अधर में लटका हुआ है।