इस विद्यालय में नामांकित हैं 1032 विद्यार्थी, उपस्थिति 57

फोटो -अग्रवाल उचतर माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति नाममात्र -------- अव्यवस्था -चेतना सत्र के दौरान आपस में झगड़ रही थीं दो शिक्षिकाएं -प्रयोगशाला और पुस्तकालय के लाभ से भी विद्यार्थी हैं वंचित --------- -15 से 20 विद्यार्थी चेतना सत्र में थे मौजूद -39 शिक्षक इस विद्यालय में हैं नियुक्त ------------- संसू बेलागंज

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 08:05 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 08:06 PM (IST)
इस विद्यालय में नामांकित हैं  1032 विद्यार्थी, उपस्थिति 57
इस विद्यालय में नामांकित हैं 1032 विद्यार्थी, उपस्थिति 57

गया । अग्रवाल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वालों से ज्यादा उपस्थिति पढ़ाने वालों की रहती है। शिक्षा के क्षेत्र में कभी प्रदेश में परचम लहराने वाला मुख्यालय स्थित अग्रवाल उच्चतम माध्यमिक विद्यालय की विरासत काफी मजबूत है। आज उस विरासत को सहेजने में न तो विद्यालय के शिक्षक उत्सुक हैं और न ही विद्यार्थी।

उच्चतर माध्यमिक विद्यालय होने के बाद से इस विद्यालय में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के बच्चे पढ़ते हैं। कुल 1032 विद्यार्थी नामाकित हैं। रजिस्टर में एक वर्ग को कई सेक्शन में बांटा गया है, लेकिन यहां स्थिति कुछ अलग है। ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत हमारे प्रतिनिधि पड़ताल के लिए पहुंचे तो वस्तु स्थिति जानकर चकित रह गए।

दिन के 11: 15 बजे तक मात्र 57 विद्यार्थी ही उपस्थित थे, जबकि इनको पढ़ाने के लिए कुल 39 शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच गए थे। यहां के सभी शिक्षक बायोमीट्रिक हाजिरी लगाते हैं। प्रधानाध्यापक सतेंद्र कुमार कहते हैं, चेतना सत्र की शुरुआत तो महज 15-20 विद्यार्थियों से ही करवानी पड़ती है। चेतना सत्र के दौरान ही वे बच्चों को नैतिकता की शिक्षा देते हैं।

इसी दौरान विद्यालय के अंदर भवन से चिल्लाने की आवाज आती है। वहा दो शिक्षिकाएं आपस में झगड़ रही थीं। पास में ही 10 से 12 शिक्षक कुर्सी पर बैठे थे। हालांकि, उनको पता था कि चेतना सत्र चल रहा है। इससे स्कूल के माहौल का पता सहज लगाया जा सकता है। शिक्षकों द्वारा विद्यालय में शैक्षणिक माहौल नहीं देने के कारण अधिकतर बच्चे विद्यालय नहीं आते हैं। हालांकि, यहां स्मार्ट क्लास के साथ साथ प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय की समुचित व्यवस्था है, लेकिन विद्यार्थी को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। विद्यालय में कुव्यवस्था के पीछे विद्यालय प्रबंधन के साथ अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।

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मैदान होने के बाद भी

नहीं होतीं प्रतियोगिताएं

खेलने के लिए विशाल खेल मैदान है। यहां कभी जिला स्तरीय प्रतियोगिता होती थी। इसमें विभिन्न विद्यालयों के बच्चे भाग लेते थे। आज जिलास्तर तो दूर कक्षा स्तरीय प्रतियोगिता भी नहीं होती है। खेल मैदान की चारदीवारी जीर्णशीर्ण होने के कारण पशु विचरण करते रहते हैं।

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प्रस्तुति : राकेश कुमार

मोबाइल नंबर : 9934074824

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