फल्गु में बनेगा वियर बांध, शुरू हो गया सर्वे

सदियों की सनातन आस्था के रूप में बह रही फल्गु नदी को बचाने की दिशा में एक और कदम ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 01:17 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 01:17 AM (IST)
फल्गु में बनेगा वियर बांध, शुरू हो गया सर्वे
फल्गु में बनेगा वियर बांध, शुरू हो गया सर्वे

गया। सदियों की सनातन आस्था के रूप में बह रही फल्गु नदी को बचाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है। इसमें वियर बांध निर्माण की कवायद शुरू कर दी गई है।

मोक्षनगरी गया की लाइफलाइन इस नदी में वियर बांध की मांग लगातार की जा रही थी। नदी को अतिक्रमण और प्रदूषणमुक्त कराने को स्थानीय नागरिक व संस्थाएं लगातार मांग कर रही हैं। दैनिक जागरण ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर लगातार अभियान चलाकर सरकार और प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया। नगर विकास परिषद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर यहां के नागरिकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन के साथ जागरण द्वारा उठाए गए तमाम मुद्दों की क्लिपिंग भी उन्हें सौंपी। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में त्वरित पहल करते हुए अधिकारियों को योजना बनाने का निर्देश दिया था। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वियर बांध हर हाल में बनाया जाना है, यह यहां की जरूरत है।

इस निर्देश के बाद सिंचाई विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। बांध बन जाने से न सिर्फ नदी में पानी होगा, बल्कि सिंचाई की समस्या का भी निदान हो सकेगा। सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि फल्गु में वियर बांध के लिए बिथोशरीफ गांव के पास नदी को चिह्नित किया गया है। अभी नदी के सर्वे का काम चल रहा है। सर्वे पूरा होते ही योजना स्वीकृति के लिए सरकार को भेजी जाएगी। स्वीकृति मिलते ही डीपीआर बनाकर निविदा निकाल दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नदी में वियर बांध के साथ दोनों ओर पक्की नहर का भी निर्माण किया जाएगा। इससे मानपुर, खिजरसराय, अतरी, नीमचक बथानी, बेलागंज, नगर प्रखंड आदि में सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। नदी में सालों भर पानी रहने से जलसंकट भी समाप्त होगा। इससे नदी में तेजी से हो रहे अतिक्रमण पर भी रोक लगेगी। चूंकि यहां बड़ी संख्या में पिंडदानी तर्पण के लिए आते हैं, सो उन्हें भी सहूलियत होगी। अभी नदी में कई छोटे-बड़े नाले गिर रहे हैं, जिससे यह प्रदूषित हो रही है। वियर बांध बन जाने से प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी। साथ ही बालू का अवैध खनन भी बंद होगा। अभी हालत यह है कि पितृपक्ष के दौरान अ‌र्घ्य देने के लिए नदी में जल नहीं था। छठ में भी यही स्थिति थी। एक बूंद पानी नहीं था कि अ‌र्घ्य दिया जा सके। प्लास्टिक शीट बिछाकर किसी तरह पंप से पानी लाकर अ‌र्घ्य दिया गया। बहरहाल, नदी के अस्तित्व को बचाने की दिशा में पहल शुरू हो गई है।

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