मोबाइल में कैद हुई पिंडदान की यादें

गया। पितृपक्ष मेला में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए आए हर पिंडदानी की चाहत होती है कि पिंडदान के

By Edited By: Publish:Thu, 29 Sep 2016 09:42 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2016 09:42 PM (IST)
मोबाइल में कैद हुई पिंडदान की यादें

गया। पितृपक्ष मेला में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए आए हर पिंडदानी की चाहत होती है कि पिंडदान के हर पल को वह अपने मोबाइल में कैद कर ले। भगवान विष्णु की नगरी व भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली को मोक्ष की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शायद इसलिए पितृपक्ष मेला में पिंडदान करने आए पिंडदानी गयाजी की ठहरे हर पल को याद रखने के लिए मोबाइल में कैद रहे है। कोई पिंडदानी पिंडदान करते हुए सेल्फी लेना चाहता है तो कोई फोटो खींचवाकर उसे यादगार बनाना चाहता है। और न जाने कितने पिंडदानी मोबाइल के कैमरे में पिंडदान करते हुए लिए फोटो को फेसबुक पर तुरंत डाल दे रहे हैं। गयाकूप पिंडवेदी पर लखीसराय जिला के सूर्यगढ़ा थाना के सिंगारपुर से आए रामानंद सिंह व पत्‍‌नी शोभा देवी के साथ पिंडदान रहे थे। साथ उनकी बेटी मिक्की कुमारी भी थे। पिंडदान करते हुए मिक्की अपने पापा व मम्मी के साथ सेल्फी खींचने के बाद पिंडदान करते हुए फोटो खींची। इतना ही नहीं वह अपने मोबाइल में पिंडदान करते हुए वीडियो भी बना रही थी। मिक्की कहती है कि पितरों का पिंडदान एक बार ही होता है। बार-बार नहीं किया जाता सकता है। इसलिए अपने कैमरे में अगर कैद नहीं करें तो बेवकूफी होगी। सेल्फी लेने व मोबाइल से फोटो खिचने के बाद अपने परिवार के सदस्य व दोस्तों व के व्हाट्सअप नंबर पर पिंडदान करते हुए तस्वीर को भेज रहे हैं। इतना ही नहीं फेसबुक पर भी इन पिंडदान करते हुए तस्वीर को पोस्ट कर दिया जा रहा है। वह अपने मोबाइल से पूरा पिंडदान को ही वीडियों बनाकर अपने गैलेरी में रख रहा है। इतना ही नहीं मोबाइल से तस्वीर ही खींच कर अपने यादें में बसा कर रख रहे है। जिन-जिन पिंडवेदियों पर पिंडदान होता है। वहां की कुछ तस्वीरें को यादगार बनाने के लिए कैमरे में कैद कर रहे हैं। उसके पिता व मां पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान कर रहे है।

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पिंडदान के बाद फेसबुक पर डाल दी तस्वीर

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दिल्ली से आए राजेंद्र कुमार के साथ आई राखी सिन्हा कहती है कि पितरों को मोक्ष दिलाने के समय तस्वीर को खिचकर फेसबुक व व्हास्टअप पर पोस्ट कर दिखलाया जा रहा है कि गयाजी कितना पावन स्थान है। पम्मी कहती है कि यह फोटो आम लोगों के जीवन में भले ही कोई महत्व नहीं रखता है। परंतु, उनके जीवन में यह तस्वीर बहुत ही ज्यादा महत्व रखती है। यह तस्वीर को बाद में हम बेटा-बेटियों को दिखायेंगे कि गयाजी में जाकर पिंडदान किया जाता है। यहां आने पर उसे शांति के साथ ही ऐसा लगा कि दुनिया में शायद ऐसा कोई स्थान नहीं है। शायद इसी के कारण गयाजी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है। यहां पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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