20 वर्षों से बंद पड़ा है सरोतर उपस्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल परिसर में बांधे जाते हैं मवेशी

मोतिहारी। हर तरफ विकास की बातें हो रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की कवायद भी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 11:40 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:06 AM (IST)
20 वर्षों से बंद पड़ा है सरोतर उपस्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल परिसर में बांधे जाते हैं मवेशी
20 वर्षों से बंद पड़ा है सरोतर उपस्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल परिसर में बांधे जाते हैं मवेशी

मोतिहारी। हर तरफ विकास की बातें हो रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की कवायद भी की जा रही है। लेकिन इससे विपरीत क्षेत्र का एक अहम मुद्दा सरोतर पंचायत का है। जहां तीन दशक पुराना सरकारी अस्पताल उप स्वास्थ्य केंद्र ध्वस्त हो चुका है। अस्पताल का भवन जर्जर हाल में है। अस्पताल भवन के दरवाजे व खिड़कियां गायब है। इन सब बातों को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश का माहौल है। इस अस्पताल से क्षेत्र के पूर्वी सरोतर, पश्चिमी सरोतर, पुरैना, बनपरुआ, नारायनापुर, चांदपरसा, सेम्भुआपुर, बड़हरवाखुर्द, धनगढ़हां समेत दर्जनों गांव के करीब एक लाख लोगों की आबादी प्रभावित है। यहां बीमार पड़ने वाले लोगों को पुरैना स्थित विधायक के निजी क्लिनिक का ही सहारा लेना पड़ता है। अन्यथा 40 किमी दूर मोतिहारी सदर अस्पताल या 15 किमी दूर केसरिया पीएचसी जाना पड़ता है। सरकारी उदासीनता, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां कई गरीब असहाय बीमार मरीजों को अस्पताल नहीं होने के कारण इलाज के अभाव में जान गंवानी पड़ती है। नहीं तो फिर कर्ज लेकर निजी अस्पतालों के रुख कर इलाज कराना पड़ता है। इस मुद्दे को लेकर कई बार लोगों ने अपनी आवाज उठाई। मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इस अस्पताल की हालत इतनी खस्ताहाल है की यह मवेशियों की आश्रयस्थली बनकर रह गया है। दिन और रात अस्पताल के ग्राउंड, बरामदे व कमरे में मवेशी बांधे जाते हैं। अस्पताल में कोई चाहरदीवारी नहीं है। हां परिसर में दो नए कमरे बने है मगर वे भी किसी काम के नहीं हैं। जब अस्पताल ही बंद रहता है तो भवन से तो किसी मरीज का इलाज होगा नहीं। फिलवक्त में करीब बीस वर्षों से यह अस्पताल बंद पड़ा हुआ है। विगत पांच वर्ष पूरे जब क्षेत्र के पुरैना गांव के राजेश कुमार विधायक बने तो लोगों में यह आशा जगी की अब इस अस्पताल का उद्धार हो जाएगा। यहां भवन बन जाएगा और डाक्टर, नर्स, कंपाउंडर, दवा एवं चिकित्सीय सुविधा लोगों को मिलने लगेगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ग्रामीण बताते हैं की करीब पच्चीस वर्ष पहले जब यह अस्पताल शुरू हुआ था तो उस समय अस्पताल में डॉक्टर समेत तमाम सुविधाएं थी। लोगों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता था और न निजी क्लिनिक का सहारा लेना पड़ता था। चिकित्सा सुविधा पर ध्यान देने से लोगों को मिलेगा सीधा लाभ

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इस संबंध में सेम्भुआपुर निवासी पूर्व सरपंच पं. सुदामा तिवारी ने कहा कि अस्पताल बंद रहने से क्षेत्र के गरीब, बीमार, लाचार लोगों को काफी परेशानी होती है। इलाज के लिए उन्हें निजी क्लिनिक या शहर का रुख करना पड़ता है। इस चुनाव में ऐसा जनप्रतिनिधि चुनना है जो यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं स्वास्थ्य, सड़क व शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सके। फोटो 23 एमटीएच 27 वही सरोतर के रहनेवाले महीप सिंह ने कहा की इस कोरोना महामारी में भी सरकार अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं करा सका। लाखों की आबादी वाले इस क्षेत्र के लोगों को छोटे-छोटे इलाज के लिए भी बाहर जाना पड़ता है और हमारे गांव का अस्पताल खंडहर में तब्दील है। इसके लिए इस चुनाव में वैसा जनप्रतिनिधि चुनना है जो क्षेत्र के लोगों का ध्यान रखते हुए तमाम सारे विकास कर सके खासकर जीर्णशीर्ण हो चुके अस्पताल को दुरुस्त कर यहां इलाज की सुविधा मुहैया करा सके।

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